अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से बटेश्वर गांव के सपनों की मौत

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से उनके बटेश्वर के सपनों की भी मौत हो गई। वह सपने जो ग्रामीणों ने अपनी आंखों से देखा। दशकों से विकास की बाट जो रहे ग्र्रामीणों की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई। बटेश्वर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव है। इस गांव की गलियों में उनका बचपन बीता। जब गांव की गलियों से होकर वह राजनीति के शिखर पर पहुंचे, तो ग्र्रामीणों ने बटेश्वर के भी शिखर पर पहुंचने के सपने देखे।

आगरा शहर से बटेश्वर की दूरी करीब 70 किमी है। बटेश्वर अटल का पैतृक गांव तो है ही, धार्मिक स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। अटल जी अपने साथियों के साथ बटेश्वर के विकास की चर्चा करते। ये बात अलग है कि अटल के शिखर पर पहुंचने के बाद भी बटेश्वर में विकास की नई गाथा नहीं लिखी जा सकी। उन्होंने सभी तीर्थों का भांजा कहे जाने वाले बटेश्वर को अलग पहचान दिलाने की कोशिश की। उनके साथी बताते हैं कि जब भी अटल जी गांव आते तो बटेश्वर के विकास की चर्चा करते। कहते  कि जैसे बटेश्वर 101 मंदिरों की श्रृंखला के रूप में जाना जाता है, उसी तरह विकास के लिए दुनिया भर मेें जाना जाए। वह इसे औद्योगिक नगरी के रूप में भई विकसित करना चाहते थे। इसी विकास की कड़ी में पहली आधारशिला उन्होंने छह अप्रैल 1999 को रखी। बटेश्वर में रेल लाइन व स्टेशन का शिलान्यास किया।

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