अजीत सिंह हत्याकांड में पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम सामने आया

लखनऊ के विभूतिखंड के कठौता में 6 जनवरी को गैंगवार और अजीत सिंह की हत्या के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम सामने आया है। गैंगवार में घायल शूटर का इलाज कराने वाले सुल्तानपुर के डॉ. एके सिंह ने पुलिस को बताया कि धनंजय ने ही उन्हें फोन कर इलाज के लिए कहा था।

डॉ. सिंह ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता था कि घायल व्यक्ति कोई अपराधी है और उसे गोली लगी है। डॉक्टर से मिली जानकारियों के आधार पर पुलिस मान रही है कि धनंजय ने न सिर्फ शूटरों को सहायता उपलब्ध कराई बल्कि उन्हें पुलिस से बचाने का काम भी किया। पुलिस जल्द ही धनंजय को नोटिस भेजकर पूछताछ करने की तैयारी कर रही है।

पुलिस ने सुल्तानपुर में अस्पताल चलाने वाले डॉ. एके सिंह को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा था। सोमवार को विभूतिखंड थाना पहुंचे डॉ. सिंह ने पुलिस को बताया कि पूर्व सांसद ने रात करीब 2 बजे उन्हें फोन किया था। कहा था कि विपुल किसी व्यक्ति को लेकर आ रहा है। उसके पेट में सरिया घुस गया है। उसका उपचार कराना है। डॉ. सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने अस्पताल के डॉ. संजय सिंह को तत्काल इलाज कराने का निर्देश दिया।

अजीत सिंह हत्याकांड में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के अलावा कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पूर्वांचल के एक और बाहुबली पूर्व सांसद और एक बाहुबली विधायक भी कहीं न कहीं इस मामले से जुड़े हुए हैं।

सूत्रों के अनुसार, अजीत सिंह की हत्या बाहुबली मुख्तार अंसारी का नेटवर्क खत्म करके अपना वर्चस्व कायम करने, कोयला और रेलवे के ठेकों में सिक्का चलाने और कुंटू सिंह के बहाने पूर्वांचल में एक जातीय समीकरण तैयार करने का जरिया थी। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कई बड़े लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके गुर्गे विपुल कुमार सिंह भले ही डॉक्टरों से शूटर के पेट में सरिया घुसने की बात कहते रहे हों लेकिन जख्म देखते ही डॉक्टर समझ गए थे कि उसके गोली आरपार हो गई है।

डॉक्टरों को यह भी अंदाजा था कि घायल व्यक्ति कोई अपराधी है या फिर आपराधिक वारदात में शामिल है। इसके बाद भी उन्होंने पुलिस को सूचना नहीं दी और अंतिम समय तक शूटर के बारे में जानकारी छिपाते रहे।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच-पड़ताल में डॉक्टरों के खिलाफ सूचना छिपाने की कार्रवाई बन रही है। विपुल के पकड़े जाने के बाद अगर कुछ और तथ्य मिलते हैं तो आगे कार्रवाई की जाएगी।

इससे पूर्व पुलिस ने राजधानी के एक निजी अस्पताल के चिकित्सक निखिल सिंह के खिलाफ सूचना न देने के आरोप में कार्रवाई की थी। निखिल ने भी पूर्व सांसद के इशारे पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के पास स्थित अपार्टमेंट के फ्लैट में जाकर घायल शूटर का उपचार किया था
जानिए, क्या है मामला

विभूतिखंड के कठौता चौराहा पर छह जनवरी की रात सवा आठ बजे बदमाशों ने मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना ब्लाक के पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। अजीत को दिसंबर में ही मऊ से जिला बदर किया गया था जिसके बाद से वह यहां गोमतीनगर विस्तार के एक अपार्टमेंट में रह रहा था।

वह अपने साथी मोहर सिंह और महिला मित्र के साथ बुलेटप्रूफ एसयूवी से खाने-पीने का सामान लेने निकला था तभी बदमाशों ने उसे घेरकर ताबड़तोड़ गोलियां मारीं और भाग गए। बदमाशों की गोली से मोहर सिंह व एक राहगीर आदर्श भी घायल हुए थे।

अजीत ने भी अपनी पिस्टल से फायरिंग की थी जिसमें एक शूटर के पेट पर गोली लगी थी। मोहर सिंह ने आजमगढ़ जेल में बंद विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सीपू सिंह की हत्या के आरोपी ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अखंड प्रताप सिंह और कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डॉक्टर समेत छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

अजीत सिंह विधायक हत्याकांड का प्रत्यक्षदर्शी था जिसकी जल्द गवाही होनी थी। कुंटू व बाकी आरोपी उसे गवाही न देने के लिए धमका रहे थे। पुलिस ने आजमगढ़ से शूटरों के साथ लखनऊ आने वाले प्रिंस और रेहान को गिरफ्तार करके जेल भेजा था जबकि गिरधारी ने दिल्ली पुलिस से सेटिंग कर खुद को अवैध असलहा समेत गिरफ्तार करा लिया था।

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