नई दिल्ली : गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरु होते ही अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले का मुद्दा जोर पकड़ने लगा। सबसे पहले बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल की चिठ्ठी का मुद्दा उठाया गया। कांग्रेस ने उल्टे केंद्र सरकार पर ही सौदेबाजी का आरोप मढ़ दिया। इसके बाद सदन में हंगामा शुरु हो गया। कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने एक चिठ्ठी को आधार बनाकर बहस शुरु की। उन्होने कहा कि बिचौलिए ने इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल को लिखे खत में बताया है कि सरकार गांधी परिवार को इस मामले में फंसाने के लिए दबाव बना रही है।
एक मीडिया चैनल में इस खत की कॉपी दिखाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि भारतीय एजेंसियों ने उस पर चॉपर डील केस में गांधी परिवार का नाम लेने का दबाव बनाया था। अगस्ता मामले के बीच में ही बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने राम मंदिर का मुद्दा छेड़ दिया।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर जल्द से जल्द फैसला होना चाहिए। क्यों कि यह आस्था से जुड़ा मामला है, जिसके बाद सदन में एक बार फिर हंगामा हो गया। स्वामी ने कहा कि अगर कोर्ट राम मंदिर पर फैसला सुनाती है, तो यह दोनों समुदायों को स्वीकार होगा।
बता दे कि एक न्यूज़ चैनल के अनुसार मिशेल ने अपने खत में कहा है कि मोदी सरकार उन पर दबाव बनाकर गांधी परिवार को फंसाने का प्रयास कर रही है। इस पूरी बात का जिक्र मिशेल ने 23 दिसंबर 2015 को रजिस्ट्रार को लिखे खत में किया है। जब मिशेल ने झुकने से इंकार कर दिया, तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।
इससे पहले मिशेल ने गांधी परिवार के किसी भी सदस्य से मुलाकात की बात को भी नकार दिया था। उसका कहना है कि वो कभी भी गांधी परिवार के किसी भी सदस्य से नहीं मिला है। उसने सरकारी गवाह बनने की बात से भी इंकार किया। पत्रकारों को पैसे दिए जाने की बात से इंकार करते मिशेल ने कहा कि उनका काम मीडिया को मॉनिटर करना और फॉलो करना।