हर इंसान की जिंदगी बहुत ही लम्बी होती है और श्रीमद्भागवत जी के षष्टम स्कन्ध में महाराज परीक्षित ने शुकदेव जी से सवाल किया था कि जो पाप हमसे अनजाने में हो जाते हैं तो उस पाप से मुक्ति का क्या उपाय है। कहते हैं इस दुनिया में अनजाने में कुछ न कुछ पाप किसी ना किसी से तो जरूर हो ही जाता है। ऐसे में इस बात के उत्तर में आचार्य शुकदेव जी ने कहा था कि अगर आप ऐसे पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं।

पाप से मुक्ति के लिए करें ये उपाय:
हर दिन गाय को एक रोटी दान कर दें और जब भी घर में रोटी बने तो पहली रोटी गाय के लिए निकाल दें।
हर दिन वृक्षों की जड़ों के पास चींटियों को 10 ग्राम आटा डाल दें। हर दिन पक्षियों को अन्न डाले।
हर दिन आटे की गोली बनाकर जलाशय में मछलियो को डाल आए। जब भी कोई भिखारी आपके घर आए तो उसे जूठा अन्न भिक्षा में न दें।
हर दिन भोजन बनाकर अग्नि को अर्पित करें, इसका मतलब है कि रोटी बनाकर उसके टुकड़े करके उसमें घी-चीनी मिलाकर अग्नि को भोग लगाएं।
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