रत्नो का संबंध ग्रहों से होता है इस कारण अगर कुड़ली में ग्रह की स्थिति अशुभ है या कमजोर है तो उसकी स्थिति को शुभ बनाने के लिए ज्योतिष में रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है और रत्न धारण करने से सब कुछ सही हो जाता है. ज्योतिषों के अनुसार मोती का विशेष महत्व बताया गया है और गोल लंबा आकार का मोती, जिसका रंग फेद हो तथा उसमें लाल रंग के ध्वज का आकार का सूक्ष्म निशान बना हो तो उसको पहनने से लक्ष्मी का लाभ मिलता है.
जी हाँ, कहते हैं मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा के क्षीण होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है लेकिन कुंड़ली में ऐसे लग्न जिनमें चंद्रमा शुभ स्थानों (केंद्र या त्रिकोण) का स्वामी होकर निर्बल हो, ऐसे में मोती पहनना लाभदायक होता है, नहीं तो मोती धारण करने से डिप्रेशन, निराशावाद और आत्महत्या का कारण बन सकता है. आइए आज हम आपको बताते हैं कुंडली के अनुसार किसे मोती धारण करना चाहिए और किसके लिए यह शुभ होता है.
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*कहा जाता है अगर कुंड़ली के 6, 8, या 12 भाव में चंद्रमा हो तो मोती पहनना चाहिए.
*कहते हैं अगर कुंडली में नीच राशि (वृश्चिक) में हो तो मोती पहनना चाहिए.
*कहा जाता है कुंडली में चंद्रमा राहु या केतु की युति में हो तो मोती पहनना चाहिए.
*कहते हैं अगर कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रहों की दृष्टि में हो तो मोती पहनना चाहिए.
*कुंडली में चंद्रमा के क्षीण होने या सूर्य के साथ हो तो भी मोती पहनना चाहिए.
*कहा जाता है चंद्रमा की महादशा चलने पर मोती अवश्य पहनना चाहिए.
*ऐसा भी कहते हैं चंद्रमा क्षीण होने पर व कृष्ण पक्ष में जन्म होने पर मोती पहनने से लाभ मिलता है.