हम अपने घर में आइना कई वजहों से लगवाते हैं. किसी को शीशे घर में हर जगह लगे सुंदर लगते हैं, किसी को सिर्फ अपनी शक्ल देखनी होती है इसलिए लगवाते हैं. वैसे तो घरों में जगह-जगह शीशे लगे हुए अच्छे लगते हैं लेकिन इनको लगवाने से पहले हमें इनकी दिशाओं का ध्यान रखना चाहिए.
कई बार बिना सोचे-समझे हम आईने को गलत दिशा में लगा लेते हैं और फिर कई सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इसलिए इनके हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए सही दिशा के बारे में जान लेना जरुरी होता है. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से.
1.
सबसे पहले आप अपने घर पर नजर दौड़ाएं और यदि कहीं कोई टूटा हुआ आईना है, तो उसे तुरंत घर से बाहर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे यहां कहावत है कि ‘दर्पण टूटा, भाग्य फूटा’। कहने का तात्पय है कि आईने के टूटते ही उसे तुरंत घर से बाहर करें और नए दर्पण का प्रयोग करें। साथ ही धुंधले एवं खराब शीशे का प्रयोग भी न करें।
2.
भूलकर भी घर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सामने वाली दीवार पर बड़ा दर्पण न लगवाएं क्योंकि यह दर्पण उस घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश होते ही उसे नकारात्मक ऊर्जा परिवर्तित कर देता है। इस वास्तुदोष के कारण घर के सदस्यों के बीच कलह बनी रहती है। परिजनों को कष्ट बना रहता है और उन्हें घर से बाहर यात्रा में रहकर अपने कामकाज करने पड़ते हैं।
3.
उत्तर-पश्चिम दिशा में लगा आईना जहां अपनों से दुश्मनी, मुकदमेबाजी आदि का कारण बनता है वहीं दक्षिण – पश्चिम दिशा में लगा आईना वास्तुदोष के कारण घर के मुखिया को घर से बाहर रहने और अनावश्यक एवं आकस्मिक ख़र्चों के लिए मजबूर करता है। दक्षिण पूर्व में लगा दर्पण आपसी मतभेद और पश्चिम में लगा दर्पण आलस्य और कर्तव्यों से विमुख करता है। जबकि उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व दिशा की दीवार पर लगा दर्पण बीमारियां लाता है।
4.
भूलकर भी अपने बेडरूम में दर्पण न लगाएं, क्योंकि यदि रात को सोते समय दर्पण में पलंग दिखाई दे तो वह गृहस्वामी के वैवाहिक जीवन के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होता है। बेडरूम में दर्पण लगाने से दांपत्य जीवन में विश्वास की कमी आती है। पति-पत्नी में आपसी मतभेद भी बढ़ता है। यदि बहुत जरूरी हो या मजबूरी हो तो उसे उस जगह लगाएं जहां से बेड पर सोते समय आपका प्रतिबिम्ब न दिखाई दे। साथ ही उसे सोने से पहले किसी कपड़े से ढंक दें।
5.
वास्तु के अनुसार यदि दर्पण गलत दिशा या स्थान पर लगा हो तो उसे उस स्थान से हटाना ही उचित होता है लेकिन यदि किसी कारण से ऐसा न संभव हो पाए तो उसके चारों कोने पर एवं मध्य में एक ऊर्जायुक्त पिरामिड लगाकर नकारात्मक ऊर्जा को वहीं रोकने का प्रयास किया जा सकता है।