उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के महत्वाकांक्षी यश भारती पुरस्कार पर पहले ही कैंची चला दी थी. यश भारती से सम्मानित लोगों को दी जाने वाली मासिक पेंशन बंद कर दी गई थी. अब सरकार ने इस पुरस्कार को खत्म कर दिया है. इसकी जगह अब सरकार राज्य संस्कृति पुरस्कार देगी.

यश भारती को खत्म कर इसकी जगह नया पुरस्कार शुरू करने का निर्णय गुरुवार को पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. नए पुरस्कार में कुछ नए क्षेत्रों को शामिल करने का निर्देश सरकार की ओर से दिया गया है, तो यश भारती में शामिल रहे कुछ क्षेत्र बाहर होंगे.
अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर दिए जाने वाले पुरस्कार के तहत 6 लाख रुपये, वहीं अन्य बड़ी शख्सियतों के नाम पर दिए जाने वाले 23 पुरस्कारों के तहत 2-2 लाख रुपये की नकद पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी.
यश भारती पुरस्कार के दायरे में फिल्म, आकाशवाणी, निर्देशन, साहित्य विज्ञान और खेल आदि विधाएं भी आती थीं. अब इन क्षेत्रों को नए पुरस्कार से बाहर कर दिया गया है.
इनकी जगह नए पुरस्कार में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, आधुनिक और परंपरागत कला, रामलीला, लोक बोलियां, लोक गायन, लोक नृत्य, नौटंकी, मूर्तिकला आदि को शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि यश भारती, मुलायम सिंह यादव सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम में से एक था. मुलायम सरकार की विदाई के बाद आई बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने इसे बंद कर दिया था.
बाद में अखिलेश सरकार ने इसे फिर शुरू किया. तब रेवड़ियों की तरह पुरस्कार बांटने का आरोप लगा था. इस पुरस्कार के तहत दी जाने वाला मासिक पेंशन को लेकर भी भाजपा हमलावर रही है. योगी सरकार ने पहले ही यश भारती पुरस्कार के तहत दी जाने वाली पेंशन बंद कर दी थी.
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