अंबाला। अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर जीआरपी कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है जो यात्रियों की सुरक्षा पर भारी पड़ सकती है। इस समय जीआरपी के 16 कर्मचारियाें के सहारे रेलवे स्टेशन की सुरक्षा अधूरी है। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। ट्रेनों में रोजाना छीना-झपटी की घटनाएं बढ़ रही हैं। वहीं जीआरपी मामला दर्ज करने तक ही सीमित है। न तो जांच के लिए अधिकारी हैं और न ही कर्मचारी।
अब त्योहार शुरू हो गए हैं तो शरारती तत्व ट्रेनों और स्टेशनों पर भी सक्रिय हो गए हैं। आने वाले दिनों में जहरखुरानी की घटनाओं से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। पिछले दो दिनों में ऐसे ही तीन मामले दर्ज किए गए। इसमें दो मामले ट्रेन में झपटमारी के भी थे, जिसमें झपटमार महिलाओं से बैग छीनकर फरार हो गए। बैग में लाखों रुपये के जेवरात थे।
गौरतलब है कि छावनी में ही एसपी रेलवे का कार्यालय है। कुछ दिन पहले नवनियुक्त एसपी ने रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने सुरक्षा में काफी खामियां भी देखी थी। सबसे बड़ी खामी जीआरपी कर्मचारियों को लेकर थी। जहां पहले जीआरपी में 70 कर्मचारी होते थे और उनके हिसाब से ही 24 घंटे टीमों को तैनात किया जाता था, अब मात्र 30 कर्मचारी ही जीआरपी थाने में तैनात हैं। इनमें से भी 12 कर्मचारियों को अलग-अलग स्थानों पर तैनात किया गया है। वहीं मात्र 16 कर्मचारी ही स्टेशन की सुरक्षा में तैनात हैं।
300 ट्रेनों का आवागमन
कैंट रेलवे स्टेशन पर लगभग 300 ट्रेनों का आवागमन हो रहा है। सुरक्षा के नाम पर स्टेशन पर 47 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इनमें से भी सात खराब हैं। वहीं अनारक्षित टिकट केंद्र पर एक मात्र लगेज स्केनर है जो काफी समय से खराब है। जीआरपी की कुछ ट्रेनों में गश्त भी है। दूसरी तरफ आरपीएफ में भी कर्मचारियों की काफी कमी है। उनके जिम्मे भी चोरों व शरारती तत्वों को पकड़ने की जिम्मेदारी है, लेकिन आईपीसी की धारा के तहत कार्रवाई करने का अधिकारी जीआरपी के पास है।
कहने को 30 कर्मचारी जीआरपी थाने में तैनात हैं। इनमें से भी 12 कर्मचारी नायब कोर्ट, मुंशी, ड्राइवर आदि के तौर पर कार्य कर रहे हैं। मात्र 16 कर्मचारी हैं, जिनसे अलग-अलग शिफ्टों में कार्य लिया जा रहा है। अगर कर्मचारी मिल जाएं तो पहले के मुकाबले सुरक्षा के प्रबंध पुख्ता किए जा सकते हैं।
-धर्मवीर सिंह, प्रभारी जीआरपी थाना, अंबाला कैंट।