अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पर्वतारोहियों के लिए विकसित होंगी अत्याधुनिक सुविधाएं

अंतरिक्ष यात्रियों की देश में ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की दिशा में एम्स ने बड़ा कदम बढ़ाया है। एम्स अधिक ऊंचाई और अंतरिक्ष मेडिसिन में नवाचार व शोध को बढ़ावा देने के लिए सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय (डीजीएएफएमएस) के साथ समझौता करने जा रहा है। 

अगले सप्ताह दोनों चिकित्सा संस्थानों के बीच करार संभव है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों व पर्वतारोहियों के उपचार में नवाचार को मिलेगा बढ़ावा। इसमें यात्रा से पहले और बाद में पर्वतारोहियों व अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का पता करने के साथ माकूल इलाज भी दिया जाएगा। साथ ही शोध से इलाज की अत्याधुनिक विधियों व मेडिकल शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने में मदद मिलेगी। खास ध्यान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) के गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों पर रहेगा।

दरअसल, एम्स हाई एल्टीट्यूड मेडिसिन और स्पेस मेडिसिन के लिए सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशालय (डीजीएएफएमएस) के साथ समझौता करेगा। इसके तहत पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान शरीर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव, अंतरिक्ष में जाने व लौटने पर अंतरिक्ष यात्री को होने वाली दिक्कत का इलाज किया जाएगा। साथ ही इस क्षेत्र में शोध कर भविष्य के लिए नवाचार और योजनाएं तैयार होंगे। समझौते के तहत के तहत वर्तमान सुविधाओं को अपग्रेड किया जाएगा। एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि अंतरिक्ष में उड़ान के दौरान मानव शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें शरीर पर बल, माइक्रोग्रैविटी, असामान्य वातावरण, कम दबाव, उच्च कार्बन डाइऑक्साइड, अंतरिक्ष विकिरण सहित अन्य समस्याएं शरीर को झेलनी पड़ती है।

पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान शरीर में कई तरह की परेशानी होती है। सांस लेने में दिक्कत, रक्तचाप में उतार चढ़ाव सहित अन्य विकास शरीर को परेशान करते हैं। एम्स इस विषयों पर मरीज को इलाज दे रहा है। इस समझौते के बाद इन्हें अपग्रेड किया जाएगा। एम्स की मीडिया प्रमुख डॉ. रीमा दादा का कहना है कि आने वाले सप्ताह में यह समझौता हो सकता है। इस समझौते के बाद स्पेस मेडिसिन और हाई एल्टीट्यूड मेडिसिन से जुड़े इलाज को अपग्रेड करने में मदद मिलेगी। साथ ही इस दिशा में शोध कर नवाचार को बढ़ावा दे सकेंगे।एम्स डीजीएएफएमएस के साथ साझेदारी करके अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देगा। जिसका फायदा एम्स में पढ़ने वाले छात्रों 
को होगा। 

एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास की अध्यक्षता में होने वाले समझौते को लागू करवाने के लिए एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश खड़गावत को नोडल अधिकारी बनाया। समझौते से शैक्षणिक और अनुसंधान के क्षेत्र में फायदा होगा, साथ ही चिकित्सा ज्ञान और अभ्यास की समग्र उन्नति भी होगी। समझौते के बाद एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास का कहना है कि इस समझौते के बाद हाई एल्टीट्यूड मेडिसिन और स्पेस मेडिसिन में एम्स की क्षमताओं में निखार आएगा। 

एम्स की स्टाफ कारों में लगाए जाएंगे जीपीएस 
एम्स के संकाय, डॉक्टर व अन्य स्टाफ ऑफ ड्यूटी के समय भी मरीजों का उपचार कर सकेंगे। इन्हें परिवहन की सुविधा देने के लिए एम्स निदेशक एस श्रीनिवास ने सभी स्टाफ के कारों में जीपीएस उपकरण लगाने का आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि स्टाफ कारों का उपयोग अक्सर ऑफ-ड्यूटी और कभी-कभी देर रात के समय एम्स संकाय, डॉक्टर व कर्मचारियों को तत्काल लाने के लिए किया जाता है। ऐसे में रोगी देखभाल सुविधा को बेहतर करने के लिए परिवहन सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा। 

ट्रेस होगी वाहन की खराबी 
यदि कोई वाहन खराब भी हो जाती है तो जीपीएस की मदद से उसे ट्रेस कर दूसरी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। जीपीएस से लैस स्टाफ कारों की आवाजाही की निगरानी केंद्रीय परिवहन में तैयार किए गए कंट्रोल रूम से वास्तविक समय के आधार पर की जाएगी। इसकी मदद से वाहनों की चलने की दूरी, ईधन सहित अन्य सभी की जांच होगी।

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