एक आम धारणा है कि गर्मियों के मौसम में अंडा कम खाया जाता है. इसके पीछे कई कारण दिए जाते हैं, लेकिन आपको सुनकर हैरानी होगी कि गर्मी के सबसे पीक वाले जून में अंडा सबसे महंगा बिक रहा है. अब अगर बाजार में अंडा महंगा बिक रहा है तो जाहिर सी बात है कि अंडे की डिमांड आ रही है. इस साल की जनवरी-फरवरी में भी अंडा इतना महंगा नहीं बिका जितना अब बिक रहा है.

देश की सबसे बड़ी बरवाला मंडी भी आज की तारीख में डिमांड के हिसाब से अंडे की सप्लाई नहीं कर पा रही है. गौरतलब रहे देश में हर रोज करीब 25 करोड़ अंडे का प्रोडक्शन होता है.
जून में 5 से 5.50 रुपये का थोक में बिक रहा है अंडा
अंडे के बड़े थोक कारोबारी मान्या एग के राजेश राजपूत का कहना है, अगर इस साल होलसेल में एवरेज 100 अंडे के रेट की बात करें तो जनवरी में 506.77 और फरवरी में 440 रुपये तक रहा था. यह रेट लखनऊ मंडी के है. यूपी के कई शहरों में लखनऊ से अंडा सप्लाई होता है. लेकिन अगर जून की बात करें तो रेट 535 रुपये तक पहुंच गए हैं.
सूरत की बात करें तो जनवरी-फरवरी में 450 से 470 रुपये के 100 तक अंडे बिके थे. वहीं जून में 560 रुपये बिक रहे हैं. अहमदाबाद में 555 रुपये बिक रहे हैं. दिल्ली में 492 रुपये, कानपुर में 504 रुपये, कोलकाता में 540 रुपये, मुम्बई में 565 रुपये के होलसेल में 100 अंडे बिक रहे हैं.
तो क्या तीसरी लहर के लिए खिलाए जा रहे हैं अंडे
दिल्ली में दूध, ब्रेड, बटर, अंडे की होम डिलेवरी करने वाले राजेश मनसानी बताते हैं, होम डिलेवरी के दौरान अंडे की डिमांड बढ़ गई है. जो ग्राहक पहले हमसे 5 अंडे रोजाना लेता था अब वो 7 से 8 अंडे ले रहा है. और ऐसा किसी एक परिवार या सोसाइटी में नहीं हो रहा है. एक-दो जगह जब मैंने पूछा तो पता चला कि खासतौर से अब बच्चों को रोजाना 2 अंडे तक दिए जा रहे हैं. देसी अंडे की डिमांड भी आ रही है. मान्या एग के राजेश का कहना है कि यूपी के गांवों से भी अंडे की बहुत डिमांड आ रही है. कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की खबर ने लोगों को डरा दिया है.
1.25 करोड़ अंडे का कारोबार होता है बरवाला में
पोल्ट्री के जानकार और पोल्ट्री फार्म के मालिक और अनिल शाक्या ने बताया, हरियाणा की बरवाला मंडी अंडे की सबसे बड़ी मंडी है. यहां हर रोज एक से सवा करोड़ करोड़ का कारोबार होता है. लेकिन 2020 के कोरोना-लॉकडाउन और फिर उसके बाद बर्ड फ्लू के चलते पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां बची नहीं हैं. फार्म में सिर्फ 50 से 60 फीसद तक ही मुर्गियां रह गई हैं. ऐसे में अंडे का प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है. डिमांड पूरी करने के लिए दूसरी मंडियों से माल खरीदकर डिमांड पूरी की जा रही है.
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