अंबाला में रोडवेज चालक की हत्या के विरोध में बुधवार को कैथल में भी चक्का जाम हुआ। चक्का जाम होने के कारण यात्री भटकते रहे। उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि इस दौरान निजी बसों और पंजाब रोडवेज की बसों का संचालन हुआ है। वहीं, बुधवार को भैया-दूज का पर्व होने के चलते यात्रियों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ी। यह यात्री वे थे, जिन्हें हड़ताल को लेकर कोई जानकारी नहीं थी।
लोकल रूटों पर जैसे भी तरीके से यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच गए, लेकिन लंबे रूटों पर यात्रियों को एक भी बस नहीं मिलने से अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ा। कैथल डिपो से दिल्ली, चंडीगढ़ और हिसार तक यात्री नहीं जा सके। गौरतलब है कि कैथल डिपो से प्रतिदिन 25 हजार से अधिक यात्री अपने गंतव्य तक यात्रा करते हैं, लेकिन बुधवार को हड़ताल के कारण यह यात्रा नहीं कर पाए।
इस कारण रोडवेज को भी करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, रोडवेज के अधिकारियों का दावा था कि 190 में से 50 बसों का संचालन किया गया था। यह वह बसें रही, जो मंगलवार रात्रिकालीन ठहराव पर विभिन्न स्थानों पर गई थी। इसके साथ ही ढांड से दिल्ली जाने वाली बस का संचालन हुआ। वहीं, हड़ताल के कारण सुबह के समय रेलवे स्टेशन पर काफी अधिक भीड़ भी अन्य दिनों की अपेक्षा बुधवार को देखने को मिली।
बसों का संचालन न होने से बेबस रहे यात्री
यात्री अमजद ने बताया कि वह सहारनपुर का निवासी है और शहर में अपनी एक रिश्तेदारी में मंगलवार को ही आया था, उसे रोडवेज के चक्का जाम की जानकारी नहीं थी। उसे बुधवार को सहारनपुर जाना था, लेकिन बसों का संचालन नहीं होने के काफी परेशानी झेलनी पड़ी। निजी वाहन चालकों ने बस से तिगुना किराया वसूला था।
यात्री रिंकू ने बताया कि वह करनाल का निवासी है। भाई-दूज के पर्व के तहत कैथल में अपनी बहन के घर मंगलवार को ही आया था। अब बुधवार को अपने घर करनाल में वापस जाना था, लेकिन बस का संचालन न होने के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ा। हड़ताल के कारण यात्रियों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए सरकार को बीच का रास्ता निकालना चाहिए था।
बुजुर्ग किताबों देवी ने बताया कि उसने तितरम जाना था, किसी भी सरकार का बस का संचालन न होने के चलते काफी देर तक निजी बस का इंतजार करना पड़ा। इसके बाद निजी बस के माध्यम से गांव जाना पड़ा।
बुजुर्ग संतों देवी ने बताया कि वह कैथल में किसी रिश्तेदार से मिलने के लिए आई थी। बुधवार को उसने अपने घर जींद में वापस जाना था, लेकिन रोडवेज कर्मियों की हड़ताल के कारण करीब दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इसके बाद एक निजी वाहन के माध्यम से जींद के लिए रवाना होना पड़ा।
भीड़ के चलते रेलवे स्टेशन पर नहीं मिली टिकट, बेटिकट की यात्रा
रोडवेज की बसों का चक्का जाम होने के चलते शहर के दोनों रेलवे स्टेशन पर भीड़ का खूब आलम रहा। इस कारण यात्रियों को टिकट नहीं मिली। इन यात्रियों को मजबूरन ही बेटिकट यात्रा करनी पड़ी। रेलवे स्टेशन पर टिकट वितरण को काउंटर पर उचित व्यवस्था न होने के कारण ऐसा हुआ। इसके साथ ही सामान्य दिनों की अपेक्षा बुधवार को रेलवे की दोगुनी टिकटें बिकी। पहले एक दिन में करीब 25 हजार रुपये की टिकटों की बिक्री दोनों ही स्टेशनों पर होती थी, लेकिन इस दौरान करीब 50 हजार रुपये की टिकटें बिकी। सुबह व शाम के समय आने वाली रेलगाड़ियों में भीड़ रही।
अधिकारी के अनुसार
रोडवेज के महाप्रबंधक अजय गर्ग ने बताया कि कैथल डिपो से रात्रि ठहराव की करीब 50 बसों का संचालन हुआ है। जबकि कर्मचारियों के विरोध के चलते बुधवार को कैथल डिपो से कोई बस नहीं चली। एक बस दिल्ली भी ढांड से गई है।