हरियाणा में बिना बीमा वाहन चलाने वालों पर अब सख्त कार्रवाई होगी। सड़कों पर बिना बीमे के दौड़ रहे वाहनों से होने वाले हादसों के शिकार होने वालों को मुआवजे की राशि में देरी न हो इसके लिए हाईकोर्ट ने व्यवस्था अपनाने पर सुझाव मांगा है। हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ से पूछा है कि हादसे का शिकार होने वालों या उनके आश्रितों को मुआवजा देने के लिए क्यों न उन्हें बाध्य किया आए। आखिर बिना बीमे के वाहनों को राज्य ही दौड़ने दे रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार को बाद में मालिक व ड्राइवर से वसूली करने का अधिकार दिया जाएगा।
बता दें कि फरीदकोट मोटर एक्सीडेंट क्लेष ट्रिब्यूनल से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के समक्ष पहुंचा था। इसमें ट्रिब्यूनल ने बिना बीमे के चल रहे वाहन की ओर से एक्सीडेंट करने पर 26 लाख रुपये मुआवजा तय किया था और इसकी वसूली वाहन के ड्राइवर व मालिक से करने का आदेश दिया था। वाहन मालिक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए आदेश को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने तीनों से पूछा है कि ऐसे मामलों में जिनमें राज्य वैध श्रीमा प्राप्त किए बिना वाहनों को चलाने की अनुमति दे रहे हैं। राज्यों को पहले पीड़ित दाबेदारों को भुगतान करने के लिए क्यों नहीं बाध्य किया जाना चाहिए। मालिक व चालक के विरुद्ध वसूली के अधिकार उन्हें दिए जाने चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना बीमे के वाहनों को सड़क पर न चलते देना सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में पीड़ितों को बिना बीमे के चल रहे वाहन का शिकार होने वालों को मुआवजा देना पहले उनकी जिम्मेदारी बनती है।