यमुनानगर में बड़े स्तर पर अवैध खनन भी होता है। कई बार वाहनों के फर्जी ई-रवाना भी काटे जाते हैं। यही नहीं सीएम फ्लाइंग ने ऐसे स्क्रीनिंग प्लांट भी पकड़े जो रिकॉर्ड में तो बंद पड़े हैं, फिर भी वह खनन सामग्री की खरीद-फरोख्त करते मिले।
फर्जी ई-रवाना, ओवरलोडिंग और अवैध खनन रोकने के लिए अपडेट किया गया पोर्टल खनन कारोबारियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। एचएमजीआईएस (हरियाणा माइन्स एंड जिओलाॅजी इंफोरमेशन सिस्टम) में आ रही दिक्कत से जिले के 90 प्रतिशत स्क्रीनिंग प्लांटों पर ताला लटक गया है। इसका असर आम जनता पर भी देखने को मिल रहा है। लोगों को निर्माण कार्यों के लिए खनन सामग्री लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं पहले की अपेक्षा रेत, बजरी के दाम भी लगभग दोगुना हो गए हैं।
जिले में बड़े स्तर पर अवैध खनन भी होता है। कई बार वाहनों के फर्जी ई-रवाना भी काटे जाते हैं। यही नहीं सीएम फ्लाइंग ने ऐसे स्क्रीनिंग प्लांट भी पकड़े जो रिकॉर्ड में तो बंद पड़े हैं, फिर भी वह खनन सामग्री की खरीद-फरोख्त करते मिले। इससे राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा था। इस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एचएमजीआईएस पोर्टल पर बड़े स्तर पर बदलाव किया गया है।
इसके तहत 15 दिसंबर को करीब 450 खनन यूनिटों को अपने तौल कांटों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया गया। तौल कांटे पर रजिस्ट्रेशन नंबर डालते ही ट्रक या डंपर का खाली गाड़ी का वजन खुद ही पोर्टल पर आ जाएगा, जबकि पहले डिस्प्ले पर देख कर वजन की एंट्री की जाती थी। वाहन जितने टन में पास होगा, यदि उसमें उससे थोड़ा सा भी ज्यादा माल हुआ तो पोर्टल से ई-रवाना जारी नहीं होगा। वहीं वजन करते समय जेनरेट होने वाली पर्ची का नंबर दोबारा पोर्टल पर डाला जाएगा। इसके बाद जब तक हेड ऑफिस से ओटीपी जारी नहीं होगा, तब तक ई-रवाना जारी नहीं हो पाएगा। साथ ही जिस स्क्रीनिंग प्लांट की जितनी खनन सामग्री की क्षमता है, उससे ज्यादा नहीं बेच पाएंगे।
जिले में खनन की 32 साइट, 22 हैं बंद
जिले में खनन की कुल 32 साइट हैं। इनमें से 22 साइट बंद पड़ी हैं। केवल 10 साइटों पर ही खनन हो रहा है। जो साइट चल रही हैं उनमें देवधर ब्लॉक, मलिकपुर खादर, जैयधर, मंडौली गागड़, कनालसी, जठलाना, एमटी करेहड़ा, नगला रांगड़ान, नगली व गुमथला साउथ ब्लॉक शामिल हैं। 2022-23 में जिले से खनन से प्रदेश सरकार को करीब 115 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। खनन साइट बंद होने से स्क्रीनिंग प्लांटों को खनन सामग्री नहीं मिल रही है।
ठेकेदारों की आपसी खींचतान भी हावी
ज्यादातर खनन साइटें इसलिए भी बंद हो गई, क्योंकि इनका ठेका लेने वाले ठेकेदारों में आपसी खींचतान है। एक-दूसरे की शिकायतें एनजीटी व खनन विभाग को करते रहते हैं। इस कारण जांच के बाद विभाग ने साइटों को बंद कर दिया। वहीं एनजीटी ने भी कई ठेकेदारों पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माना इतना ज्यादा है कि ठेकेदार इसे अदा करने में समक्ष नहीं थे और साइट ही बंद कर दी। उधर, ईडी की रेड का असर भी खनन कारोबार पर देखने को मिल रहा है।
पोर्टल की कमियां दूर कर रहे : ओमदत्त शर्मा
जिला खनन अधिकारी ओमदत्त शर्मा का कहना है कि पोर्टल में जो कमियां आ रही हैं, उन्हें धीरे-धीरे दूर किया जा रहा है। अब सारा सिस्टम टेक्निकल हो गया है। नए पोर्टल का मकसद फर्जी ई-रवाना, ओवरलोडिंग और अवैध खनन को रोकना है। नए पोर्टल का कोई भी दुरुपयोग नहीं कर सकेगा और कार्यों में पारदर्शिता रहेगी।