हरियाणा के किसान संगठनों व सरकार के बीच बातचीत आज

हरियाणा सरकार के किसान संगठनों से बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहती है। किसान संगठनों को लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि हरियाणा सरकार ने हमेशा संवाद और आपसी समझ के माध्यम से समाधान खोजने की नीति अपनाई है।

किसान आंदोलन की आहट को देखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा के किसान संगठनों से बातचीत का रास्ता खोल रखा है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हरियाणा के करीब दो दर्जन से ज्यादा किसान संगठनों और सरकार के बीच रविवार को चंडीगढ़ में बैठक होनी है। बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत होनी है।

इससे पहले सरकार की ओर से 14 जुलाई को भी एक बैठक हो चुकी है, जिनमें किसान संगठनों ने कई मुद्दे रखे थे। उसके बाद सरकार ने सभी को चंडीगढ़ बुला लिया है। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान हुए बातचीत पर हरियाणा सरकार चुनाव से पहले बड़ा फैसला ले सकती है।

उल्लेखनीय है कि पंजाब के किसान संगठन शंभू व खनौरी बॉर्डर पर बैठे हैं और दिल्ली कूच की तैयारी में जुटे हैं। वहीं, हरियाणा के किसान संगठनों की भी कई मांगें लंबित हैं। वह भी आंदोलन करते आए हैं। यदि हरियाणा के किसान संगठनों ने भी आंदोलन की राह पकड़ ली तो हरियाणा सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विधानसभा चुनाव करीब हैं।

ऐसे में सरकार हरियाणा के किसान संगठनों से बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहती है। किसान संगठनों को लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि हरियाणा सरकार ने हमेशा संवाद और आपसी समझ के माध्यम से समाधान खोजने की नीति अपनाई है। रविवार को जो संगठन बातचीत के लिए आ रहे हैं, उनमें किसान सभा हरियाणा, भाकियू (टिकैत), भाकियू (नैन) भाकियू (एकता उगराहा), भाकियू मांगे राम, पगड़ी संभाल जट्टा, भारतीय किसान मजदूर यूनियन (कौथ ), हरियाणा किसान सभा, एआईकेकेएमएस, भारतीय किसान संघर्ष समिति, सीसर किसान महासभा, राष्ट्रीय किसान मंच, क्रांतिकारी किसान यूनियन, उचाना धरना और बीकेयू छोटू राम शामिल हैं।

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