केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में पुलिस के खुलासे के बाद वामपंथ का चेहरा उजागर हो गया है। उन्होंने मारपीट करने वाली की भीड़ का नेतृत्व किया।
करदाताओं द्वारा भुगतान की गई सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया। नए छात्रों को नामांकित होने से रोका। परिसर को राजनीतिक युद्ध के मैदान के रूप में इस्तेमाल किया।
इससे पहले जेएनयू में हिंसा को लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने बेहद निंदनीय व शर्मनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि राजनेता छात्र-छात्राओं के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं।
इन जगहों पर छात्र-छात्रा अपने जीवन को संवारने के काम में लगने के साथ ही अपनी तथा देश की प्रगति की शिक्षा लेते हैं। इन सभी जगहों को राजनीति से दूर रखना ही श्रेयस्कर होगा।
छात्र-छात्रा यहां पर आशान्वित होकर आते हैं, हमको भी उनको आशावादी बनाना होगा। इन सभी जगहों पर राजनीति के कारण ही हिंसा तथा उपद्रव का माहौल बन जाता है।
नेता इनको इस्तेमाल करते हैं। इससे छात्रों के जीवन पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि मैं आशान्वित हूं, आशावादी हूं कि राजनीति अखाड़े में छात्रों को मोहरे की तरह इस्तेमाल न किया जाए।