कबीर ने अपनी परेशानी लिखी, ‘मेरा अंग टेढ़ा है, इसलिए मैं हमबिस्तरी का सुख नहीं ले पा रहा हूं. मैं क्या करूं?’ इसी तरह मोहन का कहना था कि उस का अंग टेढ़ा है. इस वजह से वह अपनी बीवी को खुश नहीं कर पाता है. अंग के टेढे़पन की वजह से हमबिस्तरी करने से पहले ही सफेद लिसलिसा पानी सा निकल जाता है. इस का समाधान बताएं?

ये कुछ मिसालें हैं. इन लोगों को लगता है कि उन का अंग अपने सही आकारप्रकार में नहीं हैं. इन की तरह ज्यादातर लोग अपने अंग को ले कर परेशान होते हैं. इसी बात का फायदा नीमहकीम और गलीगली में तथाकथित जड़ीबूटियां बेचने वाले झोलाछाप उठाते हैं.
इस की अहम वजह यह भी है कि ऐसे लोग शर्म के मारे डाक्टर के पास नहीं जाते हैं. किसी दोस्त को यह बात बताना भी वे अपनी तौहीन समझते हैं, बल्कि इधरउधर से सैक्स की अधकचरी जानकारी बटोर लेते हैं या कहीं से बेहूदा किताबें खरीद लेते हैं. ये किताबें बेनामी नुसखों द्वारा लोगों को लूटने का काम करती हैं.
इन किताबों में बचकाने इश्तिहार छपे होते हैं, जिन में लिखा होता है कि आप का अंग टेढ़ा है, तो आप नामर्द हो सकते हैं. इस वजह से आप अपनी बीवी को खुश नहीं कर पाएंगे. अगर आप मर्दाना ताकत पाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए नंबर पर फोन कर के दवा मंगा सकते हैं. कहीं ऐसा न हो कि आप मौका चूक जाएं और हमेशाहमेशा के लिए अपनी मर्दाना ताकत खो दें.
लुभावने इश्तिहार देख कर नौजवान इन के फेर में जल्दी आ जाते हैं. इसी का फायदा उठा कर ये बेनामी दवा बेच कर लाखों रुपए कमा लेते हैं. ऐसी दवाओं के इस्तेमाल से नौजवानों को फायदा होने के बजाय नुकसान ज्यादा होता है.
अब यह जानने की कोशिश करें कि क्या किसी का अंग वाकई टेढ़ा होता है?
शरीर विज्ञान के मुताबिक, हर शख्स का शरीर व उस के सामान्य अंग अपने आकारप्रकार में सही होते हैं. कुदरत ने इनसानी शरीर के हर अंग को अपनी अलग खूबी दी है. उसी खूबी के मुताबिक वह अपना काम करता है. आंखें सही देख पाती हैं, तो वह अपने रूप, आकारप्रकार में सही हैं. पैर चलने में परेशानी नहीं दे रहे हैं, तो कुदरती रूप से बिलकुल सही हैं.
फिर गुप्त अंग के बारे में यह सोच कहां से पनपी कि वह सही आकारप्रकार में नहीं है? इस की वजह यह है कि ज्यादातर लोग इस बात को ले कर शक पाल लेते हैं. जब कभी अकेले में वे अपने अंग को देखते हैं, तब उस के बारे में सोचते रहते हैं कि अंग लटका हुआ क्यों है? वह इधरउधर टेढ़ामेढ़ा क्यों हिल रहा है? वगैरह.
यह सोच ऐसे लोगों के दिमाग में परेशानी का सबब बन जाती है. तब वे किसी सीधी चीज से अपने अंग की तुलना करने लगते हैं. इस से उन्हें यह भरम हो जाता है कि उन का अंग वाकई टेढ़ा है.
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