एजेंसी/कोचिंग संचालकों को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोचिंग संस्थान रिहायशी इलाके में नहीं होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोचिंग संस्थानों के कारण होने वाले हलचल के कारण स्थानीय लोगों को भारी परेशानी होती है।
पीठ ने साफ कहा कि इस ‘तमाशे’की इजाजत नहीं दी जा सकती। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने दो टूक कहा कि कोचिंग इस्टीट्यूट को रिहायशी इलाकों में नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा कि लोग कोचिंग संस्थान रिहायशी इलाके में खोल लेते हैं, जिससे वह इलाका सार्वजनिक स्थल बन जाता है।
कोचिंग संस्थानों के कारण इलाकों को भीड़भाड़ बढ़ जाती है। वहां शोरगुल होता है। लड़के मटरगस्ती करते हैं। जिससे कि स्थानीय निवासी खासकर, बुढे-बुजुर्ग और बच्चों को परेशानी होती है। ऐसे इलाकों की शांति खत्म हो जाती है।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने जयपुर के लाल कोठी इलाके में गैरकानूनी तरीके से चल रहे 118 संस्थानों को हटाने के राजस्थान
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को दरकिनार कर दिया है। याचिका ऑल राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन द्वारा दाखिल की गई थी।
उन्होंने कहा कि आखिर कोचिंग संस्थान को कहां जाना चाहिए। जिस पर पीठ ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को कमर्शियल या इंस्टीट्यूनल एरिया में होना चाहिए। रिहायशी इलाकों में कोचिंग इंस्टीट्यूट होने का क्या मतलब है। अदालत का रुख देखते हुए सिब्बल ने याचिका वापस करने की इजाजत मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
गत तीन फरवरी को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में जयपुर के लाल गोठी इलाके में स्थित 118 कोचिंग संस्थान को हटाने के लिए कहा था। ये 118 संस्थान 15 कॉलोनियों में है। ये कोचिंग संस्थान नियमों की अनदेखी कर रिहायशी इलाकों में चलाए जा रहे थे।