मनुष्य के जीवन में ऐसी कई सारी घटनाएं होती है जिसे न चाहते हुए भी हमे दर्द सहन करना पड़ता है।और कहते है की जितना दर्द एक महिला सहन कर सकती है उतना दर्द कोई भी पुरुष सहन नहीं कर सकता है। लेकिन आप सोच रहे होंगे की आखिर वो कौन सा समय है। जब कोई महिला पुरषो से भी ज़्यादा दर्द सहन करती है। तो आज हम आपको यही बात बताने जा रहे है।
हमारे भारत में वैसे तो महिलाओ को पुरषो के मुकाबले कमज़ोर माना जाता है। लेकिन सच तो ये है। की महिलाओ से ज़्यादा ताकतवर और सहनशक्ति करने वाला कोई भी नहीं होता है। महिलाओ को सबसे ज़्यादा दर्द गर्भवती होने पर होता है और धीरे धीरे ये दर्द हर महीने के साथ बढ़ता जाता है। जैसे जैसे महिलाओ का बच्चो को जन्म देने का समय पास आता जाता है। वैसे वैसे ही महिलाओ में दर्द भी बढ़ता जाता है। और महिलाओ को दर्द और कमज़ोरी जैसे समस्या आने लगती है लेकिन फिर भी एक महिला अपने बच्चो को 9 महीनो तक अपने पेट में पालने से पीछे नहीं होती।
9 महीनो तक तो एक महिला अपने पेट में पाल लेती है लेकिन एक महिला को सबसे ज़्यादा दर्द पेट में पल रहे बच्चो को जन्म देते वक़्त होता है। अगर किसी भी मनुष्य के शरीर की कोई हड्डी टूट जाये तो वो चीखने चिल्लाने लगता है। और कोई कोई मनुष्य तो रोने भी लगता है लेकिन शायद आप नहीं जानते होंगे की एक महिला जब अपने बच्चो को जन्म देती है तब उसे 200 हड्डियां एक साथ टूटने के इतना दर्द होता है।
इसीलिए कहते है माँ आखिर माँ होती है। और दुनिया में माँ की जगह कोई नहीं ले सकता है और अपनी माँ की कदर करना चाहिए। क्यूंकि माँ है जब तक की लोग आपको पूछेंगे और माँ के ना रहने के बाद लोग आपको पूछना बंद कर देंगे।