बीते वर्षों की तरह इस बार भी प्रदेश में सर्दियों की शुरूआत में जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसका प्रमुख कारण बारिश का नहीं होना, खरपतवार को जलाना बताया जा रहा है। इस संबंध में वन मुख्यालय की ओर से सभी वन प्रभागों को एडवाइजरी जारी की गई है।
प्रदेश में पर्वतीय जिलों टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग चमोली सहित कुमाऊं के कुछ हिस्सों में जंगल में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वन विभाग ने इसे संजीदा से लेते हुए 28 बिंदुओं पर एडवाइजरी जारी की है। इसमें बीते वर्षों की घटनाओं को देखते हुए वनाग्नि के समुचित उपाय करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही फायर लाइन काटने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य वन संरक्षक,वनाग्नि और आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि प्रदेश में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की ओर से वनाग्नि के अलर्ट मिले हैं। प्रभागों में डीएफओ और रेंज अधिकारियों की ओर से इनका भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है। इसके अलावा एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मांगी जा रही है।
उन्होंने बताया कि कुल मामलों में नाम खेतों में खरपतवार की वजर से जंगल में आग लगने की बात सामने आई है। उन्होंने बताया कि सभी डीएफओ को प्रमुख वन संरक्षक (हाॅफ) की ओर से एडवाइजरी जारी कर दी गई है। कर्मचारियों को तत्परता से आग बुझाने के निर्देश दिए गए हैं। बतों दें कि उत्तरकाशी में जंगल में आग लगाने के आरोप में कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है।