मकर विलक्कू त्योहार से पहले मंगलवार को खुल रहे सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश के खिलाफ आंदोलन चला रहे अग्रणी संगठन ने कहा कि वह महिलाओं को हरगिज प्रवेश नहीं करने देंगे। उसने कहा कि लोगों की धार्मिक भावना आहत होने से बचाने के लिए मंदिर और उसके आसपास कड़ी चौकसी करेंगे।
ऑल इंडिया सबरीमाला एक्शन काउंसिल ने सोमवार को कहा कि उसे संतोष है कि 27 दिसंबर को संपन्न मंडलम उत्सव के दौरान 10 से 50 साल की कोई महिला भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। काउंसिल के महासचिव एसजेआर कुमार ने कहा कि मंदिर की परंपरा और रिवाजों को किसी भी कीमत पर बचाया जाएगा।
साल 2019 में केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर विवादों में छाया रहा। सबरीमाला मंदिर में 10 साल की आयु से लेकर 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। इस पाबंदी को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर में महिलाओं के जाने की पाबंदी को हटाने का निर्णय सुनाया। इस फैसले के बाद खूब विवाद चला। फैसले को लेकर कई पुनर्विचार याचिका दायर की गई। फैसले के बाद केरल में इसको लेकर कई जगह हिंसा भी हुई।
सबरीमाला मंदिर पर जारी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर अब सात न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच जनवरी 2020 में सुनवाई करेगी। सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी फैसले को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका दायर किया गया है।