नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने इससे जुड़ी ऐसी जानकारी साझा की है जिससे लगता है कि इस पड़ोसी मुल्क को राहत मिलने वाली है. पाक का कहना है कि सऊदी अरब उन्हें 6 बिलियन डॉलर (7,87,17,00,00,000 रुपए) देने को राज़ी हो गया है. ये जानकारी पाक पीएम इमरान ख़ान के दूसरे रियाद दौरे के बाद सामने आई.
“बैलेंस ऑफ़ पेमेंट सपोर्ट” के तौर पर सऊदी अरब पाकिस्तान को सीधे तौर पर 3 बिलियन डॉलर (3,93,58,50,00,000 रुपए) देगा. इसके अलावा तेल के आयात के लिए एक साल तक की देर से पेमेंट की शर्त के बाकी के 3 बिलियन डॉलर की सहायता दी जाएगी. इसके लिए दोनों देशों के वित्त मंत्रालयों के बीच एमओयू साइन हुआ है. पाकिस्तान ने कहा कि ये समझौता तीन सालों के लिए किया गया है जिसके बाद इसका रिव्यू किया जाएगा.
इमरान ख़ान ने पहले घोषणा की थी कि उनका देश बेलआउट के लिए आईएमएफ के पास जाएगा. लेकिन 1980 के बाद से देश के 13वें बेलआउट को लेकर पाकिस्तान ने बाद में उदासीनता दिखाई. दक्षिणी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर बैलेंस ऑफ पेमेंट का ये ताज़ा संकट मंडरा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि चीन आधारित निवेश से देश में आयात तो भारी मात्रा में बढ़ा है लेकिन निर्यात की हालत खास्ता है.
जुलाई में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही इमरान ख़ान चीन, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं. लेकिन उन्हें इस मामले में कोई खासी सफलता नहीं हासिल हुई है. देश में चालू खाता घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी के घटने से देश पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है और वहां के वित्त मंत्री का कहना है कि इससे निपटने के लिए पाकिस्तान को 12 बिलियन डॉलर (15,74,34,00,00,000 रुपए) की दरकार होगी.
सऊदी अरब से मिली इस रकम से पाकिस्तान की सारी समस्याएं तो हल नहीं होंगी. लेकिन इमरान का देश इसकी वजह से लोन के मामले में कम से कम आईएमएफ से बेहतर तरीके से मोलभाव करने की स्थिति में होगा. पाकिस्तान में ख़ान की इस बात के लिए भी आलोचना हो रही है कि उन्होंने सऊदी मूल के अमेरिकी पत्रकार जमाल खाशोगी की सऊदी अरब द्वारा कथित हत्या के बावजूद इस देश में हुए निवेश सम्मेलन में हिस्सा लिया