शिवसेना के मुखपत्र सामना में कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी की जमकर खिंचाई की गई है. सामना में लिखा है कि, ‘कर्नाटक में फिलहाल जो सियासी तमाशा शुरू है वो आज भी समाप्त हो सकेगा, ये कहना कठिन है. बहुमत का फैसला संसद या विधानसभा के सभागृह में होना चाहिए. किन्तु बहुमत गंवाकर बैठे कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी विधानसभा में चर्चा कर वक़्त गंवा रहे हैं.
शिवसेना में आगे लिखा है कि उन्हें सीधे मतदान करके लोकतंत्र का पक्ष रखना चाहिए था, किन्तु उनकी सांस मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर ऐसी अटकी है कि वो छूटते नहीं छूट रही. राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और कुमारस्वामी ये तीन मुख्य पात्र इस खेल में अपने-अपने पत्ते फेंक रहे हैं.’ सामना में लिखा है कि, ‘सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है और 15 बागी विधायकों की पांचों उंगलियां घी में हैं. इस प्रकार वे मजा कर रहे हैं. 15 बागी विधायकों का विधानसभा में उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं है और व्हिप का उल्लंघन कर दलबदल कानून के अंतर्गत उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, सर्वोच्च न्यायालय ने 17 जुलाई को ऐसा आदेश दिया था.
सामना में आगे लिखा गया कि कुमारस्वामी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करके इस फैसले की बृहद व्याख्या जानने की मांग की है. उस पर सोमवार को सुनवाई होगी. इसका मतलब ये हुआ कि सोमवार तक कुमारस्वामी को जीवनदान मिल गया. लेकिन सोमवार के बाद क्या? इसका उत्तर कुमारस्वामी के पास नहीं है. सोमवार नहीं तो मंगलवार या फिर कभी. कुमारस्वामी को विश्वास प्रस्ताव के समक्ष जाना ही पड़ेगा.’