टेस्ट के तीसरे दिन मिचेल स्टार्क की घातक यॉर्कर से शमर जोसेफ का अंगूठा टूट गया था। दर्द इस कदर था कि मैदान छोड़कर जाना पड़ा था। चौथे दिन शमर जोसेफ गेंदबाजी कर भी पाएंगे या नहीं इस पर भी सवाल था। हालांकि 24 साल का यह युवा गेंदबाज तो मानो इस सीरीज में इतिहास रचने के लिए ही आया था।
बड़ी पुरानी कहावत है, “मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” यह लाइनें वेस्टइंडीज के युवा तेज गेंदबाज शमर जोसेफ (Shamar Joseph) पर एकदम फिट बैठती हैं। सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने से लेकर गाबा में कैरेबियाई टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाने तक का यह सफर बेहद उतार-चढ़ाव से भरा रहा। हालांकि, शमर के बुलंद हौसले और हार ना मानने वाले जज्बे के आगे तकदीर को भी झुकना पड़ गया।
टूटे अंगूठे से की गेंदबाजी
टेस्ट के तीसरे दिन मिचेल स्टार्क की घातक यॉर्कर से शमर जोसेफ का अंगूठा टूट गया था। दर्द इस कदर था कि मैदान छोड़कर जाना पड़ा था। चौथे दिन शमर जोसेफ गेंदबाजी कर भी पाएंगे या नहीं, इस पर भी सवाल था। हालांकि, 24 साल का यह युवा गेंदबाज तो मानो इस सीरीज में इतिहास रचने के लिए ही आया था। चौथे दिन के खेल की शुरुआत से पहले शमर जोसेफ ठीक तरह से चल तक नहीं पा रहे थे, लेकिन बात देश के आन-बान-शान की थी।
वो कहते हैं कि ना कि नाम बनाने का मौका जिंदगी कभी-कभार ही देती है और इस मौके को शमर अच्छे से पहचान गए थे। दर्द को भुलाकर शमर जोसेफ ने उसी स्पीड के साथ गेंदबाजी की, जिसको लेकर वह पहले टेस्ट में चर्चा में रहे थे। 11.5 ओवर के स्पेल में कैरेबियाई गेंदबाज ने ऐसा कहर बरपाया कि ऑस्ट्रेलियाई खेमे की रूह कांप गई।
71 गेंदों में कंगारू टीम का काम तमाम
शमर जोसेफ ने चौथी पारी में दर्द के बावजूद 11.5 ओवर का स्पेल फेंका। शमर के हाथ से निकली 71 गेंदों ने ही कंगारू बैटिंग ऑर्डर को तहस-नहस करके रख दिया। कैरेबियाई गेंदबाज ने लगातार दो गेंदों पर कैमरून ग्रीन और ट्रेविस हेड को चलता किया। इसके बाद मिचेल मार्श, एलेक्स कैरी, पैट कमिंस और फिर जोश हेजलवुड का शिकार करते हुए जोसेफ ने 7 विकेट अपनी झोली में डाले।
वेस्टइंडीज ने खत्म किया 27 साल का सूखा
शमर जोसेफ की घातक गेंदबाजी के दम पर गाबा में वेस्टइंडीज ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरे टेस्ट मैच में 8 रन से हराया। ऑस्ट्रेलिया की धरती पर कैरेबियाई टीम ने 27 साल बाद जीत का स्वाद चखा है। वेस्टइंडीज को कंगारू सरजमीं पर आखिरी जीत 1997 में हाथ लगी थी।