Washington: वर्ष 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले और वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमले पर बड़ा खुलासा हुआ है। ग्लोबल लीक्स नाम के एक विसल-ब्लोअर संगठन ने दावा किया है कि इन दोनों हमलों के लिये पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात के कुछ बैंकों से आंतकी संगठनों के लिए पैसा भेजा गया था। दरअसल, यह खुलासा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के नेतृत्व में कई अरब देशों द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर कतर की नाकेबंदी करने का मामला उठने के बाद सामने आया है। संगठन ने दावा किया कि UAE के जिन बैंकों से इन हमलों के लिए फंड भेजा गया, वह बैंक वहां के शाही परिवार का है। डेली बीस्ट, द टेलिग्राफ, अल-जजीरा और हफिंगटन पोस्ट जैसे अखबारों ने ग्लोबल लीक्स के हवाले से यह खबर छापी है। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो सऊदी और UAE पर आतंकवाद को मदद देने का जो आरोप लगता आया है, वह काफी गंभीर हो जाएगा।इन सभी मीडिया संस्थानों का कहना है कि ग्लोबल लीक्स ने उनके पास इन आरोपों के समर्थन में कागजात और दस्तावेज भी भेजे हैं। खबर के मुताबिक, UAE के दुबई इस्लामिक बैंक, अल फलाह बैंक और पाकिस्तान के यूनाइटेड बैंक लिमिटेड का इस्तेमाल कर 9/11 और 26/11 हमलों के लिए फंडिंग भेजी गई। संगठन का दावा है कि ये बैंक अबू धावी के शाही परिवार के हैं। इन बैंकों ने लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों को भेजी जाने वाली फंडिंग को मंजूरी दी। इन दोनों आतंकी संगठनों पर भारत में हुए 26/11 हमलों की साजिश रचने और इसे अंजाम देने का आरोप है। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।ग्लोबल लीक्स का कहना है कि वह जानकारियां जमाकर लोगों को उसके बारे में बताता है। संगठन का कहना है कि खाड़ी देशों और पाकिस्तान के कुछ बैंक 9/11 के आतंकी हमलों की फंडिंग में भी शामिल थे। बताया जा रहा है कि कई अमेरिकी नागरिक अपनी अदालतों में कुछ खाड़ी देशों के खिलाफ केस दर्ज कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि 9/11 और 26/11 आतंकी हमलों में इन देशों की भूमिका से जुड़े सबूत भी उनके पास हैं। इससे पहले जून में ही UAE ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि अगर उसने 9/11 और मुंबई आतंकी हमलों के पीड़ितों द्वारा सऊदी अरब और UAE पर मुआवजे का दावा करने संबंधी कानून नहीं रोका, तो उनके बीच के द्विपक्षीय संबंधों पर इसका असर पड़ सकता है।मालूम हो कि अमेरिका के जस्टिस अगेंस्ट स्पॉन्सर्स ऑफ टेररेज़म ऐक्ट (JASTA) के तहत अमेरिकी नागरिक UAE और सऊदी से 9/11 हमलों का मुआवजा मांग सकते हैं। 9/11 हमले में जिन 19 अपहरणकर्ताओं ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में विमान से टक्कर मारी थी, उनमें से 2 UAE के और 15 सऊदी के नागरिक थे। UAE और सऊदी अमेरिकी सरकार पर इस अधिनियम को पारित होने से रोकने का दबाव बना रहे हैं।अगर अमेरिकी कांग्रेस में यह अधिनिमयम पारित हो जाता है, तो न केवल सऊदी और UAE मुश्किल में फंस जाएंगे बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी बहुत किरकिरी भी होगी। ग्लोबल लीक्स द्वारा मुहैया कराए गए कथित सबूत जल्द लोगों के सामने आ सकते हैं। ऐसा इसलिए कि मुंबई हमले में मारे गए एक अमेरिकी नागरिक के परिवार ने UAE के शाही परिवार के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इनका आरोप है कि शाही परिवार के बैंकों ने LeT और JuD जैसे आतंकी हमलों को फंड भेजा और इस फंड का इस्तेमाल हमले को अंजाम देने के लिए किया गया।