सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर शनिदेव का अवतरण हुआ है। इसके लिए ज्येष्ठ अमावस्या पर न्याय के देवता शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। शनिदेव की उपासना करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है।
आज ज्येष्ठ अमावस्या है। इस तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। साथ ही विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस उपलक्ष्य पर उत्तर भारत में विवाहित महिलाएं स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से वट वृक्ष की पूजा कर रही हैं। साधक न्याय के देवता शनिदेव की भी पूजा-उपासना कर रहे हैं। ज्योतिषियों की मानें तो वट सावित्री व्रत पर दो मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं शुभ योग के बारे में जानते हैं-
आज का पंचांग (Panchang 06 June 2024)
शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि शाम 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। व्रती अपनी सुविधा अनुसार स्नान-ध्यान कर वट वृक्ष एवं भगवान विष्णु की पूजा कर सकती हैं।
धृति योग
वट सावित्री व्रत पर धृति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन देर रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगा। धृति योग शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ एवं उत्तम माना जाता है। इस योग में पूजा-उपासना करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
शिववास योग
वट सावित्री व्रत पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शिववास योग संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट तक है। भगवान शिव संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट तक जगत जननी मां पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करने से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
चंद्रास्त- शाम 07 बजकर 27 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक
अशुभ समय
राहु काल – दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 49 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 08 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 36 मिनट तक
दिशा शूल – दक्षिण
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
चन्द्रबल
वृषभ, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन
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