लखनऊ: बगैर कोरोना की जांच कराए करते रहे इलाज, मरीज की गई जान

किस तरह प्राइवेट अस्पताल मरीजों की जान से खेल रहे हैं इसका एक और नमूना सामने आया है। डालीगंज निवासी आचार्य अरविंद पांडेय ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत की है कि उनकी पत्नी को कोरोना के लक्षण होने के बाद भी जांच नहीं कराई गई और निजी अस्पताल कोविड अस्पताल ना होने के बावजूद मरीज का इलाज करता रहा। जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई और मरीज की मौत हो गई। इसकी शिकायत उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से करने के साथ ही जांच करवाने के लिए कहा है जिससे अस्पताल अन्य लोगों के साथ धोखा ना कर सके।

आचार्य पांडेय ने बताया कि पत्नी गीता पांडेय को गोलागंज स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में एक सितंबर को भर्ती कराया था। अस्पताल सही बात ना बता कर उनका इलाज करता रहा। दो लाख का बिल बनाया जिसमें कुछ की रसीद दे दी और कुछ की मांगने पर भी नहीं दी। तीन तारीख की रात 10:00 बजे मौजूद डॉक्टर ने बताया कि पत्नी को कोरोनावायरस के लक्षण हैं। वह जांच करा लें। अगले दिन तक जब अस्पताल प्रबंधन द्वारा जांच करवाने का कोई प्रबंध नहीं किया गया और ना ही मरीज को रेफर किया गया तो उन्होंने स्वयं ही निराला नगर स्थित पैथोलॉजी से जांच करवाने के लिए कहा। जांच के लिए जब पैथोलॉजी के कर्मचारी सैंपल लेने आए तो अस्पताल वालों ने उन्हें सैंपल लेने की इजाजत नहीं दी। इसके बाद उन्होंने मजबूरन कोविड हेल्पलाइन को सूचना देकर परीक्षण के लिए कहा।

उनका संदेश मिला कि टीम अस्पताल पहुंच रही है। इस इस बात की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को देने पर उन्हें इस बात का डर सताने लगा कि कहीं उनका अस्पताल कोरोना का इलाज करने के लिए सील ना कर दिया जाए। इसलिए टीम के वहां पहुंचने से पहले ही आनन-फानन में रात में ही उन्होंने पत्नी को जिस कक्ष में वे थीं अंदर से बंद कर लिया और करीब 20 मिनट के बाद बताया कि मरीज की हालत बिगड़ने के कारण उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है । दूसरे दिन सुबह 8:00 बजे डॉक्टर ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने के कारण पत्नी की मौत हो गई और उन्होंने पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र भी अपने मन मुताबिक जारी कर दिया। दावा है कि उनके पास ऑडियो क्लिप भी है जिसमें प्रबंधन ने यह स्वीकार किया है कि पत्नी को कोरोना के लक्षण थे और उन्हें दवाइयां भी दी जा रही थीं। उनका कहना है कि जब अस्पताल कोविड उपचार के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा अधिकृत नहीं है तो वहां किस तरह पत्नी का बगैर जानकारी दिए इलाज किया जा रहा था। इस बात को परिजनों से भी छिपाया गया और जांच भी नहीं कराई गई । यह पूरा छल अस्पताल ने केवल बिल बनाने के लिए किया है। उन्होंने सीएमओ से शिकायत कर अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है जिससे किसी और को ना ठगा जा सके।

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