लक्ष्मी जी की पूजा में करें आरती के साथ-साथ मंत्रों का जाप

जब की समस्या से निजात पाने के लिए व्यक्ति को मां लक्ष्मी की उपासना करने की सलाह दी जाती है। यदि मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न हो जाएं तो इससे घर में बरकत बनी रहती है और जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती। आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी होती है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं मां लक्ष्मी की आरती व मंत्र।

वैसे तो हर दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जा सकती है, लेकिन शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा करने से धन की देवी आपसे प्रसन्न होती हैं, और अपनी कृपा दृष्टि आपके ऊपर बनाई रखती हैं। पूजा के दौरान मां लक्ष्मी की आरती व मंत्रों (Maa Laxmi Aarti And Mantra)। का जाप भी जरूर करना चाहिए।

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Mata Aarti)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता

सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर तुम रहती सब सद्‍गुण आता

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

माता लक्ष्मी के मंत्र (Maa Laxmi Mantra)

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,

नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,

नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं,

नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

सर्वभूत हितार्थाय,

वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः।।

ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।

ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। ।

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।

ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:

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