सन् 1850 में बना हिंदुस्तान-तिब्बत रोड और नेशनल हाइवे 22(NH22) मानव निर्मित प्रयासों को बहुत ही शानदार नमूना है। जिसकी खूबसूरती का अंदाजा आपको यहां आने के बाद ही लगेगा। हरियाणा के अंबाला से इस रोड़ की शुरूआत होती है जो चंडीगढ़, शिमला, स्पीति वैली होते हुए तिब्बत बॉर्डर के गांव खाब पर खत्म होती है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और उन्हें काटकर बनी पतली सड़क पर ड्राइव करना बहुत ही जोखिम भरा होता है। ऐसा लगता है जैसे किसी फिल्म का स्टंट सीन चल रहा हो।
शानदार सफर की शुरूआत
हिंदुस्तान-तिब्बत रोड ट्रिप की शुरूआत आप चंडीगढ़ से कर सकते हैं क्योंकि इस दौरान आप इस शहर को भी एक्सप्लोर कर लेंगे। चंडीगढ़ में सुखना लेक और रॉक गॉर्डन देखने वाली अच्छी जगहें हैं। अपनी छुट्टियों के हिसाब से आप उसी दिन या उसके अगले दिन निकल जाएं एडवेंचर से भरे इस रोड ट्रिप पर।
हरियाणा के रास्ते में आपको कई सारे ढ़ाबे मिलेंगे तो बेहतर होगा यहां से खाकर निकले जिससे आगे के सफर में आपको इस चीज़ के लिए सफर (suffer) न करना पड़े। चंडीगढ़ से शिमला की दूरी 113 किमी है जिसे आप 3-4 घंटे में आसानी से कवर कर सकते हैं। शिमला में घूमने-फिरने के बहुत ज्यादा ऑप्शन्स नहीं। फिर भी अगर आप चाहें तो यहां मॉल रोड पर थोड़ा वक्त बिता सकते हैं। ब्रिटिश काल में बनी इमारतें और ट्रैफिक फ्री रोड को देखना अच्छा एक्सपीरिएंस होता है। अगर आप थोड़े धार्मिक है तो यहां से निकलकर पास में ही एक गांव है सराहन वहां जा सकते हैं। जहां है मशहूर भीमकाली मंदिर जो भारत के शक्तिपीठ में से एक है।
इस सफर में सराहन से होते हुए आपका अगला स्टॉप होगा किन्नौर जिले का सांगला। सराहन से सांगला का रास्ता इतना खूबसूरत है जिसे आप कैमरे में कैद करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच से बहती हुई सतलुज नदी का नज़ारा किसी कलाकार की पेटिंग सा मालूम पड़ेगा। यहां कुछ एक छोटे-छोटे मंदिर हैं। वैसे किन्नौर में एक और जगह है चिटकुल, जो खासतौर से अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। चारों ओर बर्फ से ढ़के पहाड़ सफर के रोमांच को और बढ़ाते देते हैं।
सांगला में आप रातभर का ब्रेक ले सकते हैं। यहां से आगे बढ़ते ही एक और खूबसूरत गांव काल्पा पहुंचते हैं। कहते हैं सर्दियों में यह भगवान शिव का निवास स्थान हुआ करता था। जहां की प्रकृति की खूबसूरती को निहारते हुए कैसे वक्त गुजरता है इसका पता ही नहीं चलता। काल्पा से आगे बढ़ने पर एक दूसरा गांव कोठी है। यहां ऐसे छोटे-छोटे कई गांव है जहां रूकना पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश में समुद्र तल से 3657 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाको पहुंचते हैं। पहाड़ों से अलग यहां आपको चारों ओर हरियाली देखने को मिलेगी। यहां नाको मोनेस्ट्री और नाको लेक देखने लायक जगहें हैं जिन्हें बिल्कुल भी मिस न करें। सफर का दूसरा ब्रेक आप यहां ले सकते हैं।
स्पीति वैली का सफर
नाको से आगे बढ़ते हुए आप पहुंचंगे छोटे से गांव ताबो, जहां है यूनेस्को के हेरिटेज लिस्ट में शामिल ताबो मोनेस्ट्री। जहां आपको 1000 साल पुरानी मोनेस्ट्री देखने का मौका मिलता है जो एक अच्छा एक्सपीरिएंस साबित होगा।
आगे बढ़ते हुए पहुंचेंगे धनकर गांव, जहां आपको दो नदियों स्पीति और पिन का संगम देखने को मिलेगा। यह जगह भी अपने 1200 साल पुराने धनकर मोनेस्ट्री की वजह से मशहूर है। सफर का अगला पड़ाव होगा लालुंग गांव, जो काफी ऊंचाई पर है। स्थानीय लोगों का मानना है यहां उनके देवता निवास करते हैं। लालुंग मोनेस्ट्री की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करना न भूलें।
लालुंग से देमुल और फिर काजा तक के सफर में भी आपको कई सारे ऐसी जगहें मिलेंगी जो अपनी अलग खासियत समेटे हुए हैं। समुद्र तल से 4165 मीटर ऊंचे स्पीति वैली का नज़ारा यहां देखने को मिलेगा। इतना अलग और अच्छा एक्सपीरिएंस होता है जिसे शब्दों में बयां कर पाना वाकई मुश्किल है।
कुछ समय बिताने के बाद आप किब्बर की ओर निकलें। जहां 80 के करीब फैमिली रहती हैं। इसके बाद का सफर सबसे ज्यादा एडवेंचरस और खूबसूरत होता है। क्योंकि ड्राइव करते हुए आप पहुंचते हैं एशिया के सबसे ऊंचे गांव- कौमिक। जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 4300 मीटर है। यहां पूरे साल बर्फबारी होती है। बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच कौमिक मोनेस्ट्री को देखना काफी अच्छा रहेगा।
सफर का अंतिम पड़ाव है Lanza गांव। जो तकरीबन 1000 साल पुराना है। गांव में घूमते हुए आप आसपास कई खूबसूरत नज़ारे देख सकते हैं और इनकी तस्वीर खींच सकते हैं। जो आपके सफर को बनाते हैं हमेशा के लिए यादगार।
तो छुट्टियों के साथ-साथ अगर आपको ड्राइव और एडवेंचर का शौक है तो इस बार हिंदुस्तान तिब्बत रोड के सफर पर निकलें। और शेयर करें अपना एक्सपीरिएंस।