मंदसौर जिले के गरोठ क्षेत्र में एक छोटा सा गांव पावटी तीन बहनों के कारण काफी चर्चा में आ गया है। असल में इस गांव मे रहने वाले शंभूसिंह चौहान की तीन बेटियों मंजू, भावना व संतोष चौहान ने बता दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है। एक दिन बेटियों ने पिता को अपनी इच्छा जताई थी कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर उनके साथ सेल्फी लेना चाहती है क्योंकि तीनों बहनों के रियल हीरो मोदीजी हैं।
पिता ने बेटियों को समझाया कि कोरोना में मोदीजी की सेल्फी लेना फिलहाल संभव नहीं है। पिता के जवाब ने बेटियों की हिम्मत को नहीं तोड़ा। बेटियों ने योजना बनाई कि बात सेल्फी की ही है तो वे खुद अपने रियल हीरो का सेल्फी स्टैच्यू बनाएंगी। तीनों ने तय किया और दस दिन पहले ही मिट्टी, रेत, लकड़ी का बुरादा पीली मिट्टी आदि खुद जाकर लाईं और दिन रात एक करके मोदी जी की प्रतिमा बनाने में जुट गईं।
दिन भर में सिर्फ कुछ ही घंटों की नींद निकाल कर इन तीनों ने आखिरकार 17 सितंबर को मूर्ति तैयार करके सबके सामने खड़ी कर दी। कई बार काफी मुश्किल भी आई लेकिन तीनों बहनों ने आखिर अपने हीरो की सेल्फी प्रतिमा बना ही ली। जिसके साथ अब दूर-दूर से लोग सेल्फी खिंचवाने आ रहे हैं और तीनों बहनो की जमकर तारीफ भी कर रहे हैं।
छोटे से ग्राम पावटी को इन बहनों ने सोशल मीडिया में एक अलग पहचान पहले भी दिलाई थी। जब तीनों ने कोरोना पर लोकगीत बनाकर यूट्यूब पर डाले थे। जिसे काफी सराहा भी गया था। इन तीनों बहनों ने यह एक बार फिर साबित करके दिखा दिया है कि यदि हौसला और जिद पक्की हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
भावना चौहान ने कहा, ‘मोदीजी हम तीनों बहनों के रियल हीरो हैं। हमारी बहुत इच्छा थी कि मोदीजी के साथ सेल्फी लें, लेकिन लॉकडाउन के कारण मिलना संभव नहीं था। तो हम तीनों बहनों ने मिलकर अपने रियल हीरो की प्रतिमा बना ली। अब हम जब चाहें इनके साथ सेल्फी ले सकते हैं।’
वहीं मंजू चौहान ने कहा, ‘मोदी जी हमारे रियल हीरो हैं। उनके साथ सेल्फी नहीं ले पा रहे थे तो हम बहनों ने मिट्टी, लकड़ी का बुरादा मिलाकर 10 दिन में प्रतिमा बना दी। उनकी प्रतिमा को दिन रात मेहनत करके बना लिया। सिर्फ दो चार घंटे ही नींद निकालते थे, कई बार मूर्ति बनाते हुए गिर जाती थी। चेहरे को बनाने में 4 दिन लग गए। मम्मी पापा ने काफी साथ दिया। मेरी सहेलियों के भी फोन आ रहे हैं मोदी जी के साथ सेल्फी लेने के लिए।’
संतोष चौहान ने कहा, मोदी जी का स्टैच्यू बन गया है तो अब हम कभी भी इनके साथ सेल्फी ले सकते हैं। मैं सबसे छोटी हूं मेरे लिए कपड़े भी नए-नए बहुत आते है। अब मैं जब चाहूं सेल्फी ले सकती हूं।