भारत ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में कहा कि राजनितिक सुविधा के आधार पर आतंकवादियों को ‘बुरा या अच्छा’ के रूप में बांटने का काम तुरंत बंद होना चाहिए। एक अवधारणा नोट जारी करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में कहा कि आतंकवादियों को बुरा या अच्छा के रूप में वर्गीकृत करना नहीं चाहिए और इस तरह से गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म करना, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए साझा वैश्विक प्रतिबद्धता को कमजोर करेगा।
बता दें कि वर्तमान में भारत, 15 देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का वर्तमान अध्यक्ष है और 14-15 दिसंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में सुधारित बहुपक्षवाद और आतंकवाद-निरोध पर दो हस्ताक्षर कार्यक्रम आयोजित करेगा।
भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने लिखा पत्र
संयुक्त राष्ट्र परिषद की बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दों को जिक्र किया है। इस पत्र में लिखा गया है कि 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में आतंकवादी हमले हुए थे, जो आतंकवाद के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण मोड़ थे।
2001 से लेकर अब तक, मुंबई, पेरिस, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के कई हिस्सों में भी आतंकवादी हमले हुए हैं। इसमें कहा गया है कि ये हमले इस बात को उजागर करते हैं कि आतंकवाद का खतरा गंभीर और सार्वभौमिक है। दुनिया के एक हिस्से में आतंकवाद दुनिया के अन्य हिस्सों में शांति और सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
आतंकवाद का खतरा अंतरराष्ट्रीय
रुचिरा कंबोज ने कहा कि आतंकवाद का खतरा अंतरराष्ट्रीय है। आतंकवादी और उनके समर्थक, सुविधाकर्ता और वित्तीय पोषक दुनिया में किसी भी कृत्यों को व्यवस्थित करने के लिए विभिन्न न्यायालयों में रहते हुए सहयोग करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सभी राज्यों के सामूहिक प्रयासों से ही एक अंतरराष्ट्रीय खतरे को पराजित किया जा सकता है।
कंबोज ने आगे कहा कि आतंकवाद की उसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद के किसी भी कार्य के लिए कोई अपवाद या औचित्य नहीं हो सकता है। आतंकवादियों को बुरा और अच्छा के रूप में वर्गीकृत करने का युग राजनीतिक सुविधा के आधार पर तुरंत समाप्त होना चाहिए।
तालिबान का भी किया जिक्र
रुचिरा ने कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के लिए बाद भारतीय उपमहाद्वीप में लेवांत-खोरासन, अल-कायदा और अफगानिस्तान में शरण लेने वाले आतंकवादी समूहों का खतरा बढ़ गया है, जिससे खतरे की संभावना अधिक बनी हुई है। इसके अलावा, अफ्रीका के स्वदेशी आतंकवादी समूहों को अल-कायदा और आईएसआईएल जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों से वैचारिक समर्थन मिला है।
भारत ने रखा ये प्रस्ताव
भारत ने 15 दिसंबर को ‘आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे’ के तहत ‘वैश्विक आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण – सिद्धांतों और आगे बढ़ने के तरीके’ पर सुरक्षा परिषद की एक ब्रीफिंग आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है।