रविवार के दिन जरूर आजमाएं चमत्कारी उपाय

सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है। इसमें रविवार के दिन किए जाने वाले चमत्कारी उपाय बताए गए हैं। माना जाता है कि इन उपाय को करने से साधक को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर आप भी जीवन की परेशानियों का अंत चाहते हैं तो इन उपाय को रविवार के दिन जरूर आजमाएं।

सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है। ठीक इसी प्रकार रविवार का दिन सूर्य देव की विधिपूवर्क पूजा-अर्चना करने का विधान है। रोजाना सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो साधक सूर्य देव की उपासना करता है, उसका जीवन खुशियों से भर जाता है। साथ ही उसे पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रविवार को विशेष उपाय करने से साधक को कई तरह के लाभ देखने को मिल सकते हैं।

रविवार के उपाय (Raviwar Ke Upay)
अगर आप वैवाहिक जीवन सुखमय चाहते हैं, तो एक खाली बोतल में आठ साबुत उड़द के दाने, एक लोहे की कील और सरसों का तेल डालकर ढक्कन को बंद कर दें। इसके बाद इस बोतल को ऊपर से 7 बार उतारकर कहीं खली जगह पर जमीन में दबा दें। एक बात विशेष ध्यान रखें कि इस उपाय को करते समय आपको कोई टोके नहीं। माना जाता है कि इस कार्य को करने से जातक का वैवाहिक जीवन सदैव सुखमय रहता है।

सनातन धर्म में किसी पर्व या व्रत के दौरान दान करना शुभ माना जाता है। रविवार के दिन श्रद्धा अनुसार चावल, दूध और गुड़ समेत विशेष चीजों का दान करें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस उपाय को करने से भगवान सूर्य देव प्रसन्न होकर जातक की सभी मुरादें पूरी करते हैं।

यदि आप धन संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, तो ऐसे में रविवार के दिन किया गया उपाय आपके लिए बेहद फलदायी साबित होगा। रविवार के दिन घर के मुख्य द्वार पर देसी घी का दीपक जलाएं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। इस टोटके को करने से करने से परिवार के सदस्यों पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।

इन मंत्रों के जप से सभी मुरादें होंगी पूरी

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

ॐ सूर्याय नम: ।

ॐ घृणि सूर्याय नम: ।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

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