मुख्य सचिव की कमिटी ने इस हादसे के लिए सीधे तौर पर चार लोगों को दोषी करार दिया है. जिसमें बीआरडी कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल राजीव मिश्रा, एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश, Encephalitis वॉर्ड प्रमुख और हादसे के दौरान मसीहा का दर्जा पाने वाले डॉ. कफील खान और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स को पूरे हादसे के लिए जिम्मेदार बताते हुए इन सभी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.
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इसके अलावा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के अनुसार भी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं. इस कमेटी ने सीएजी से जांच की विशेष अनुशंसा की है. रिपोर्ट में पिछले तीन साल की सभी दवा और केमिकल की आपूर्ति की जांच सीएजी से कराने की बात कही गई है.
रिपोर्ट में डॉक्टर कफील खान पर भी आपराधिक मुकदमा चलाए जाने की अनुशंसा की गई है. कफील के खिलाफ गलत शपथ पत्र देने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के नियमों की अवहेलना करने का आरोप है.
मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने मुख्य सचिव की कमेटी की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए हैं. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में बुधवार को देर रात लखनऊ के हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स के संचालकों, प्रधानाचार्य डा. राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी समेत सात से ज्यादा कर्मचारियों-डॉक्टरों को इस मामले में नामजद किया गया है. उनके खिलाफ लापरवाही, भ्रष्टाचार और गैर-इरादतन हत्याका मामला दर्ज हुआ है.
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