छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट को अपनी नैसर्गिक सुंदरता और तिब्बती व जनजातीय संस्कृति के कारण प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में ख्याति मिली है।
वर्षभर सैलानियों से गुलजार मैनपाट अभी भी कई अछूते पर्यटन स्थल को अपने अंदर समेटे हुए है। हाल ही में मैनपाट में एक और स्थल लोगों के लिए कौतूहल और रोमांच का केंद्र बना हुआ है जिसका नाम है- उल्टा पानी।
उल्टा पानी एक ऐसी जगह है, जहां खेत के एक कोने से रिसता हुआ पानी जो प्रकृति के सामान्य नियमों के विपरीत घाट की ओर चढ़ता हुआ छोटे से टीले को पार कर दूसरी तरफ बह रहा है।
इतना ही नहीं यहां से होकर गुजरने वाली सड़क पर नीचे की तरफ अगर चार चक्का वाहन को न्यूट्रल में डाला जाए तो वह घाट की ओर चलने लगता है। बंद गाड़ी को घाट की तरफ खुद-ब-खुद चढ़ता देखना सैलानियों के लिए रोमांच का सबब बनता है।
ऐसे पहुंचें यहां
उलटा पानी तक पहुंचने के लिए उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाने वाली सड़क से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हर किसी की जिज्ञासा पर रिसर्च नहीं
यहां पहुंचने वाला हर शख्स आश्चर्यचकित हो उठता है। बावजूद इसके अब तक इस पर रिसर्च के लिए कोई टीम नहीं आ सकी है और न ही किसी ने इसके वैज्ञानिक कारण को जानने की कोशिश की है। भूगोलविद् जरूर इसे गुरुत्वाकर्षण व चुंबकीय कारण मान रहे हैं पर यह भी एक अनुमान ही है।
क्या कहते हैं जानकार
भूगोल के जानकार डॉ. अनिल
सिन्हा का कहना है कि यहां पानी उलटा बह रहा है तो गुरुत्वाकर्षण मुख्य कारण है। विपरीत दिशा में बड़ा चुंबकीय भंडार हो सकता है। चूंकि मैनपाट ज्वालामुखी पठार है इसलिए चुंबकीय भंडार है।