जिले के उच्च हिमालयी पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों और पर्वतारोहियों की चहल-कदमी बढ़ गई है। गोमुख ट्रैक खराब होने के बावजूद ट्रैकिंग दल लगातार गोमुख और इससे आगे तपोवन, नंदन वन, वासुकीताल तथा कालिंदी पास को जा रहे हैं। 
पिछले कुछ दिनों से ठंडी वादियों तक पहुंचने के लिए मौसम भी ट्रैकिंग दलों का साथ दे रहा है। गंगोत्री नेशनल पार्क के आंकड़ों के अनुसार हर दिन 120 से अधिक ट्रैकर एवं पर्वतारोही गोमुख ट्रैक पर जा रहे हैं। खासतौर पर रोमांच के शौकीन देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए गंगोत्री हिमालय मनपसंद सैरगाह है।
पर्यटकों का सबसे प्रमुख और पसंदीदा ट्रैक गंगोत्री से लेकर तपोवन तक है। तपोवन जाने के लिए गंगोत्री से 19 किलोमीटर गोमुख तथा गोमुख से पांच किलोमीटर ग्लेशियर के ऊपर से तपोवन पहुंचा जाता है। यहां हर दिन 30 से 40 पर्यटक जा रहे हैं। इससे यहां की बर्फीली वादियां इंसानी हलचल से आबाद हो गई हैं। इसके साथ ही गंगोत्री हिमालय में शिवलिंग के आरोहण के लिए चार सदस्यीय दल, सुदर्शन के आरोहण के लिए एक जापानी महिला, सतोपंथ के आरोहण के लिए तीन सदस्यीय दल गया हुआ है।
बीते मंगलवार को इजराइल व जर्मनी के आठ विदेशी पर्वतारोहियों का दल आरोहण करके गंगोत्री लौटा, जबकि बुधवार को गंगोत्री से एक पर्वतारोही दल जोगीन चोटी के आरोहण के लिए रवाना हुआ। स्थिति यह है कि उत्तरकाशी और गंगोत्री में पर्यटक दलों को पर्याप्त पोर्टर नहीं मिल पा रहे हैं। अधिकांश पोर्टर उत्तरकाशी से ले जाने पड़ रहे हैं।
ट्रैकिंग एजेंसी संचालक जयेंद्र पंवार कहते हैं कि मौसम सही हो गया है। इसलिए ट्रैकरों तथा पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ गई। 15 नवंबर तक कई दलों ने ट्रैकिंग के लिए संपर्क किया गया है। इसमें अधिकांश कालिंदी पास, उड़न कोल, लमखागा पास, तपोवन के लिए जा रहे हैं। ट्रैकरों व पर्वतारोहियों की बढ़ती चहल-कदमी ट्रैकिंग संचालकों के लिए अच्छी खबर है।
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