New Delhi : भारत हमेशा से तेज दिमाग वाले लोगों का देश रहा है। हमारे पूर्वजों ने कई अविष्कार किए। गणित विज्ञानं उपचार इंजीनियरिंग में भारतीयों का कोई मुकाबला नहीं।अभी-अभी: यूपी के CM योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य ने दिया इस्तीफा
हमारे पूर्वजो ने 5000 साल पहले ही उपचार पद्धिति सीख ली थी, ऐसा लोहा बना दिया था जिसमे जंग ही नहीं लगता। प्लास्टिक सर्जरी से लेकर एयरोप्लेन और बाकि कई तरह के सिद्धांत भारत से ही निकले। विदेशियों ने कई सिद्धांत भारत से चुराकर अपने नाम करवा लिए। उदाहरण के तौर पर हवाई जहाज, गुरूत्वाकर्षण के सिद्धांत इत्यादि
भारत 1947 में अंग्रेजो से आज़ाद हुआ, ऐसी सरकारें रही की भारत के लोग विदेशों में जाने लगे अधिक पैसा तो वजह थी ही।दूसरी वजह ये थी की भारत के हालत सही नहीं थे, ज्ञान को सम्मान मिलना बंद हो गया, चाटुकारिता को ही सम्मान मिलता गया। बहुत से महान वैज्ञानिक अमरीका और यूरोप के देशों में जाने लगे पर 2014 के बाद से जैसे देश का माहौल ही बदल गया,
2014 के बाद से अबतक अमरीका और यूरोप के देशों से 373 भारतीय मूल के वैज्ञानिक भारत आये है, मोटी तनख्वाह और आराम की जिंदगी छोड़ भारत आये हैं। और ये सबकुछ नरेंद्र मोदी सरकार के कारण ही हो सका है, जो मेक इन इंडिया और इस तरह के कई कार्यक्रम चला रहे है, लोगों में स्वदेशी और भारतीयता का भाव बढ़ रहा है और 373 वैज्ञानिको का लौटना ये बात साबित करता है।
बता दें एशिया से सबसे ज्यादा प्रवासी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अमेरिका भेजने के मामले में भारत सबसे ऊपर है और अमेरिका महाद्वीप में इस तरह के कुल 29 लाख 60 हजार पेशेवरों में से तकरीबन नौ लाख 50 हजार भारतीय हैं।
एक नई रिपोर्ट में शोधार्थियों ने बताया कि साल 2003 से 2013 के बीच अमेरिका में रहने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या दो करोड़ 16 लाख से बढ़कर दो करोड़ 90 लाख हो गई। इन 10 सालों में प्रवासी वैज्ञानिक व इंजीनियरों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई और इनकी संख्या 34 लाख से बढ़कर लगभग 52 लाख हो गई है।
साल 2013 में अमेरिका में रहने वाले प्रवासी वैज्ञानिक और इंजीनियरों में से लगभग 57 प्रतिशत का जन्म एशिया में, 16 प्रतिशत का यूरोप में और छह प्रतिशत का अफ्रीका में, 20 प्रतिशत का उत्तरी अमेरिका (संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर), मध्य अमेरिका, कैरिबियन या दक्षिणी अमेरिका में और एक प्रतिशत से भी कम लोगों का जन्म ओसियानिया में हुआ।
एशियाई देशों से संबंद्ध प्रवासी वैज्ञानिक और इंजीनियरों में सबसे ज्यादा लोगों का जन्म भारत में हुआ और एशियाई लोगों के कुल 29 लाख 60 हजार वैज्ञानिक-इंजीनियरों में से साढ़े नौ लाख लोगों का जन्म भारत में हुआ।
अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के नेशनल सेंटर फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग स्टैटिक्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2003 के मुकाबले 2013 में भारत के प्रतिनिधित्व में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।