मेनोपॉज के बाद बॉडी में कई तरह के बदलाव आते है और महिलाओं को कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। मेनोपॉज के बाद सबसे ज्याादा महिलाओं को हार्ट डिजीज और डायबिटीज परेशान करता है। लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि एक नई रिसर्च के अनुसार मेनोपॉज के बाद महिलाओं को हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए एक्सरसाइज करनी चाहिए और लो कैलोरी डाइट लेनी चाहिए।
एक्सरसाइज से कम होता है हार्ट डिजीज का खतरा
हालिया एक शोध में बताया गया है कि एक्सरसाइज और लो कैलोरी डाइट लेने से महिलाओं को मेनोपॉज के बाद हार्ट अटैक और डायबिटीज (टाइप-2) का खतरा कम हो सकता है। शोध में पाया गया कि फिजिकली एक्टिव महिलाओं में सुस्त महिलाओं की तुलना में मेटाबॉलिक सिंड्रोम कम होता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम से उन शारीरिक कारकों का समूह है जिनसे हार्ट डिजीज, आघात और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। आइए सबसे पहले मेटाबॉलिक सिंड्रोम को समझते हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्या है?
मेटाबॉलिक सिंड्रोम अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। दरअसल, यह जोखिम कारकों का एक समूह है- हाई ब्लडप्रेशर, हाई ब्लड शुगर, अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉ ल की मात्रा और मोटापा, आदि मिलकर मेटाबॉलिक सिंड्रोम बनते हैं।
बैड कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा
अगर ब्लड में बॅड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 150 मिग्रा/डेलि है, अथवा आप कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवा ले रहे हैं, तो आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का खतरा काफी अधिक हो जाता है।
गुड कोलेस्ट्रॉाल कम होना
अगर महिलाओं के ब्लड में गुड कोलेस्ट्रॉल का लेवल 50 मिग्रा/डेलि है, तो उन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा अगर आप कोलेस्ट्रॉ ल की दवा ले रही हैं, तो भी आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का खतरा होता है। (Read more: मेनोपॉज के दौरान अगर बढ़ रहा है वजन तो इन फूड्स का करें सेवन)
हाई ब्लड प्रेशर
हाई बीपी मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का एक बड़ा कारण माना जाता है। नॉर्मल बीपी 120/80 माना जाता है। अगर यह इस नॉर्मल लेवल से अधिक हो, तो आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम हो सकता है। इसके अलावा अगर आप बीपी को काबू करने की दवा ले रही हैं, तो भी आपको विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
हाई ब्लड शुगर
अगर आपकी फास्टिंग (खाने के करीब 9 घंटे बाद) ब्लड शुगर की मात्रा 100 से अधिक है, तो यह वक्त आपके लिए सचेत होने वाला है। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का खतरा है। (Read more: Menopause के बाद दिल को दुरुस्त रखना चाहती हैं तो ये 5 उपाय आज से अपनाएं)
मरीज में अत्यधिक चर्बी बढ़ने, अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटने और ब्लड में फैट की मात्रा बढ़ने, हाई ब्लडप्रेशर होने और हाई ब्लड शुगर होने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम की पहचान की जाती है।
क्या कहती हैं रिसर्च?
अमेरिका स्थित स्टैंडफोर्ड हेल्थ केयर की एसोसिएट प्रोफेसर एस. ली ने कहा, “पूर्व का रिसर्च मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हृदयवाहिनी के रोग और टाइप-2 डायबिटीज पर फोकस रहा है। यह अध्ययन अनोखा है क्योंकि यह ऐसे रोगों की रोकथाम पर केंद्रित है।”
यह शोध जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलोजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ है। शोध में अधेड़ उम्र की 3,003 महिलाओं को शामिल किया गया। ली ने कहा, “रिसर्च में पाया गया कि मेनोपॉज के बादएक्सरसाइज और कम कैलोरी डाइट का सेवन करने से महिलाओं को मेटाबॉलिक सिंड्रोम की शिकायत से निजात मिल सकती है।”