‘मृत व्यक्ति कॉल नहीं कर सकता’, HC की तल्ख टिप्पणी, बेटी के प्रेमी की हत्या मामले में पिता-पुत्र बरी

बेटी के प्रेमी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पिता और पुत्र को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि “विज्ञान इतना विकसित नहीं हुआ है कि मृत व्यक्ति फोन पर बात कर सके।” यह टिप्पणी उस समय की गई जब सीडीआर रिपोर्ट में यह सामने आया कि मृतक युवक की हत्या के बाद भी वह आरोपी की बेटी से मोबाइल पर संपर्क में था।

हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस ए.के. सिंह की युगलपीठ ने मंडला निवासी नैन सिंह धुर्वे और उसके बेटे संदीप धुर्वे की अपील पर सुनवाई करते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया। दोनों को जिला न्यायालय द्वारा दिसंबर 2023 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

अभियोजन के मुताबिक, नैन सिंह की बेटी और युवक राजेंद्र के बीच प्रेम संबंध थे। 19 सितंबर 2021 की रात राजेंद्र अपने घर से निकला और वापस नहीं लौटा। दो दिन बाद उसका नग्न शव जंगल में मिला। शव पर चोटों के निशान थे और गुप्तांग भी कटा हुआ था। चश्मदीद गवाह चेतसिंह ने दावा किया कि वह 19 सितंबर की रात नैन सिंह के घर रुका था और उसने पिता-पुत्र को एक युवक के साथ मारपीट करते देखा। बाद में वह केरल चला गया था और फरवरी 2022 में पुलिस उसे लेकर वापस आई।

हाईकोर्ट ने पाया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार राजेंद्र की मौत शव मिलने से 4-6 दिन पहले हुई थी। लेकिन अभियोजन द्वारा पेश सीडीआर रिपोर्ट (सर्टिफिकेट 65 के तहत) से यह स्पष्ट हुआ कि 19 से 25 सितंबर के बीच मृतक और उसकी प्रेमिका के बीच मोबाइल पर बातचीत हुई थी। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि पुलिस ने मृतक की प्रेमिका से किसी प्रकार की पूछताछ नहीं की, जिससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा होता है। इसके अलावा, गवाह चेतसिंह की गवाही भी विरोधाभासों से भरी पाई गई। मृतक की मां ने भी स्वीकार किया कि चेतसिंह उस रात आरोपी के घर नहीं बल्कि पास के कवर सिंह के घर ठहरा था। इन तथ्यों के मद्देनज़र, हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए नैन सिंह और संदीप धुर्वे को हत्या के आरोप से बरी कर दिया, और उनकी रिहाई के आदेश जारी किए।

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