मृत्यु के ठीक पहले भीष्म पितामह ने स्त्रियों के बारे में बताई थीं ये बातें, जो उनके शिवा और कोई भी नहीं जनता

सनातन काल की बात करें या आज की, जब-जब किसी ने स्त्री का अपमान किया है, उसका निश्चित ही विनाश हुआ है। जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो सभा में मौजूद सभी लोग उनका अपमान होते हुए देखते रहे लेकिन किसी ने इस घटनाक्रम को रोकने की कोशिश नहीं की। तब द्रौपदी ने क्रोधित होकर कौरवों को श्राप दिया और आखिर में कौरवों का अंत हो गया। 

ठीक उसी तरह जब रावण, माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले गया था और उनका अपमान किया था तो माँ सीता के श्राप की वजह से पूरी लंका समाप्त हो गई। और तो और माँ सीता ही रावण के अंत का कारण बनी थीं।

हालांकि प्राचीन काल से महिलाओं का सम्मान करने के लिए कहा गया है। महाभारत में भी जब भीष्म पितामह मृत्यु की शैया पर लेटे थे। तब उन्होंने महिलाओं के बारे में ऐसी ही कुछ गुप्त बातें बताई जो हर पुरुष को जानना चाहिए। 

अब ज्यादा मत सोचिए। तुरंत पढ़ लीजिए यह स्टोरी।

मृत्यु शैया पर भीष्म पितामह

यह महाभारत का वो समय था जब अर्जुन से हुए युद्ध में घायल भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटकर अपनी मौत की प्रतीक्षा कर रहे थे।

नीति की बातें 

अंतिम समय में भीष्म ने युधिष्ठिर को अपने पास बुलाया और जीवन-नीति से जुड़ी कुछ बातें बताई। उन्होंने युधिष्ठिर को महिलाओं से जुड़े कुछ रहस्य भी बताए जो एक उत्तम पुरुष को जानना चाहिए।
 

सम्मान पर जोर 

भीष्म ने महिलाओं से जुड़े तीन ऐसे गुप्त रहस्य बताए, जिनका ध्यान हर पुरुष के साथ-साथ परिवार के हर सदस्य को रखना चाहिए। 

 स्त्री का सुख 

भीष्म पितामह ने बताया कि, उसी घर में प्रसन्नता का वास रहता है, जहां स्त्री प्रसन्न हो। जिस घर में स्त्री का सम्मान न हो और उसे कई प्रकार के दुःख दिए जाते हो, वहां से भगवान और देवता भी चले जाते हैं।

सम्मान पर जोर 

 भीष्म ने महिलाओं से जुड़े तीन ऐसे गुप्त रहस्य बताए, जिनका ध्यान हर पुरुष के साथ-साथ परिवार के हर सदस्य को रखना चाहिए।

 स्त्री का सुख 

 भीष्म पितामह ने बताया कि, उसी घर में प्रसन्नता का वास रहता है, जहां स्त्री प्रसन्न हो। जिस घर में स्त्री का सम्मान न हो और उसे कई प्रकार के दुःख दिए जाते हो, वहां से भगवान और देवता भी चले जाते हैं।

दुःख की बात

 जिस घर में महिलाओं का निरंतर अपमान हो वहां दुःख, कटु वचन, विवाद आदि की अधिकता रहती है।

बेटी का सम्मान 

 भीष्म ने बताया कि, जिस परिवार में स्वयं की बेटी और दूसरे की बेटी यानी की बहू का सम्मान नहीं होता है। उसे दुःख दिए जाते हैं। वो परिवार कभी दुःख से पार नहीं पा सकता।

बहू का सम्मान

 अगर आप चाहते हैं कि ससुराल में आपकी बेटी को सम्मान मिले और वो खुश रहे। तो सबसे पहले आपको अपनी बहू को उतना ही सम्मान देना होगा। 

श्राप-शोक से मुक्ति 

भीष्म ने बताया कि, मनुष्य को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जो उसे श्राप, शोक जैसी चीजों की ओर ले जाए। हमें ऐसी चीजों से बचकर रहना चाहिए। 

महिलाओं और रोगियों का श्राप 

 भीष्म पितामह ने कहा, बालक-बालिकाओं, असहाय, प्यासे, भूखे, महिलाओं, गर्भवती, तपस्वी और मरणासन्न लोगों को नहीं सताना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है तो उसका अंत निश्चित है।          

रामायण है उदाहरण 

रावण ने भी माता सीता का अपहरण कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था। इसके बाद माता सीता ने रावण को श्राप दिया और रावण का विनाश हो गया। ठीक उसी तरह महिलाओं को प्रताड़ित करने वालों का अंत निश्चित होता है।

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