महिलाओं को मासिक धर्म की पीड़ा क्यों होती है। इसके पीछे का कारण क्या है। दरअसल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को ईश्वर ने बेहद खास तरीके से बनाया है। तभी उनमें जो बातें हैं उससे वे कभी परेशान हो जाती हैं तो कभी अपने आप पर गर्व महसूस करती हैं। आप सभी जानते हैं कि महिलाओं में मासिक धर्म होता है। इसे डॉक्टर्स एक सामान्य प्रक्रिया मानते हैं तो धार्मिक गुरू इसे स्त्री की कमजोरी। इन सब बातों से जहन में यह सवाल उठता है कि महिलाओं को मासिक धर्म की पीड़ा क्यों होती है। इसके पीछे का कारण क्या है। दरअसल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे इंद्र देव द्वारा दिए गए श्राप को माना जाता है। अब जिज्ञासा यह उठती है कि इस श्राप को देने का कारण क्या था।
श्राप का कारण, समस्या का निवारण
भागवत पुराण के अनुसार जब देवताओं के गुरू देवाराज इंद्र क्रोधित हो गए तो इसका फायदा उठाकर असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। जिसके कारण इंद्र को अपना आसन छोड़ना पड़ा। तब इस समस्या का निवारण करते हुए ब्रह्मा जी ने उन्हें कहा कि उनके किसी ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी चाहिए, इससे आसन फिर प्राप्त हो जाएगा।
उपाय को संज्ञान में लेकर इंद्र देव ने ब्रह्मज्ञानी की सेवा की। लेकिन ब्रह्मज्ञानी की माता एक असुर थीं। इस बात से इंद्र देव अनजान थे। जिसका परिणाम यह था कि उनके द्वारा आहुती चढ़ाई जा रही सारी हवन सामग्री राक्षसों के पास जा रही थी। जब इस बात का पता इंद्रदेव को चला, तो उन्होंने ब्रह्मज्ञानी की हत्या कर दी। जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें ब्रह्म हत्त्या का पाप लगा। जो कि राक्षस के रूप में उनके पीछे पड़ गया।
इससे बचने के लिए इंद्र देव एक फूल में छुप गए। इसके अंदर रहकर उन्होंने एक लाख वर्ष तक विष्णु भगवान की तपस्या की। तब भगवान ने इससे छुटकारा पाने का एक उपाय सुझाया। भगवाने ने कहा कि वे इस पाप का कुछ अंश पेड़, पृथ्वी, जल और स्त्री में बांट दें। सभी ने इस पाप को ग्रहण करना स्वीकार लिया। लेकिन बदले में सभी ने एक-एक वरदान मांगा।
पाप के बदले सभी को वरदान
पेड़ को कभी भी अपने आप को जीवित करने का वरदान मिला।
पानी को किसी भी वस्तु को स्वच्छ करने का अधिकार मिला।
पृथ्वी को सभी चोटें अपने आप भरने का वरदान मिला।
अंत में स्त्री को वरदान मिला कि वह पुरुषों की अपेक्षा काम यानी शारीरिक संबंध का आनंद दोगुना ले पाएंगी। लेकिन ब्रह्म हत्त्या के पाप के तौर पर मासिक धर्म का कस्ट झेलेंगी।