अपनी जबदस्त कप्तानी के दम पर 2011 में देश को क्रिकेट का वर्ल्डकप जीतने में अहम भूमिका निभाने वाले धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची में हुआ था. महेंद्र सिंह धोनी के पिता का नाम पानसिंह और माताजी का नाम देवकी देवी है. परिवार में एक भाई नरेंद्र सिंह और बहन जयंती हैं. धोनी के खेल जीवन की शुरुआत क्रिकेट से नहीं हुई अलबत्ता वे स्कूली दिनों में बैडमिंटन और फुटबॉल खेला करते थे. फुटबॉल कोच ने उनकी गोलकीपिंग देखकर उन्हें क्रिकेट में विकेटकीपिंग बनने का सुझाव दिया था. जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट की और अपना कदम बढ़ाये.
अगर बात करे उनके क्रिकेट के प्रारम्भिक समय की तो 1998 में धोनी ने अपने क्रिकेट जीवन की शुरुआत की और बिहार की अंडर-19 से खेलना शुरू किया. 1999-2000 में बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लिया. उसके बाद उन्होंने देवधर ट्रॉफी, दुलीप ट्रॉफी और केन्या के भारत A के दौरे में शानदार प्रदर्शन करके चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.
आपने पहले मैच में 23 दिसंबर 2004 को वे बांग्लादेश के खिलाफ 0 पर आउट हो गए थे. इसके बाद धोनी की किस्मत का सितारा ऐसा चमका कि फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.’टारजन’ कहकर चिढ़ाया : 2004 में टीम इंडिया के बांग्लादेश दौरे के वक्त धोनी के बड़े-बड़े बाल थे और दर्शक उन्हें ‘टारजन’ कहकर चिढ़ाया करते थे लेकिन धोनी ने कभी इसका बुरा नहीं माना. भारतीय टीम जब 2006 में सौरव गांगुली की कप्तानी में पाकिस्तान दौरे पर गई, तब भी धोनी की लंबी-लंबी जुल्फें आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी.
लाहौर में खेले गए भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा वनडे मैच के टाइम का हेयर कट की परवेज मुशर्रफ ने बहुत तारीफ़ की थी, तब पुरस्कार वितरण समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने धोनी की जुल्फों पर कमेंट करते हुए उनसे कहा था कि आपकी हेयर स्टाइल शानदार है, इसे कभी मत कटवाना. इस मैच में धोनी को ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ घोषित किया गया था जिन्होंने 46 गेंदों पर नाबाद 72 रन ठोंककर 289 का लक्ष्य तय किया था. 2011 के विश्व कप में धोनी और उनके धुरंधरों का एक ही सपना था कि वे सचिन तेंदुलकर को विश्व कप की जीत के साथ विदाई दें. इसके लिए धोनी ने कसम खाई थी कि यदि वे विश्व कप जीत गए तो अपना सिर मुंडवा देंगे. जिसको उन्होंने बाद में पूरा किया.