इस्लामाबाद से 286 किलोमीटर दूर अमृतसर में रविवार को समाप्त हुए हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के दौरान और बैठक के बाद जारी घोषणा-पत्र में पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर कड़े शब्दों में हिदायत दी गई है। भारत और अफगानिस्तान पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज की जोर आजमाईश के बावजूद अमृतसर घोषणा-पत्र में पाकिस्तान में फल-फूल रहे आतंकी संगठनों जैश व लश्कर के नाम को शामिल किया गया है। हार्ट ऑफ एशिया बैठक का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने संयुक्त तौर पर किया।
मोदी ने अपने भाषण में कहा कि आतंकी हिंसा करने वाले समूहों के खिलाफ ही नहीं और बल्कि इन्हें वित्तीय मदद करने वाले, इन्हें आश्रय देने वाले देशों के खिलाफ भी हमें कार्रवाई करने की जरूरत है।
भारतीय कूटनीति की जीत
भारतीय कूटनीति के लिए अहम सफलता यह रही कि हार्ट ऑफ एशिया बैठक के बाद जारी अमृतसर घोषणा-पत्र में अफगानिस्तान के लिए सिरदर्द बने आतंकी संगठनों के साथ ही भारत को निशाने बनाने वाले आतंकी सगंठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम भी शामिल किया गया।
भारत ने गोवा ब्रिक्स बैठक के बाद जारी घोषणा-पत्र में भी इन संगठनों का नाम शामिल करने की कोशिश की थी लेकिन चीन की वजह से ऐसा नहीं हो सका। हार्ट ऑफ एशिया बैठक में चीन भी शामिल था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अधिकांश देशों के मूड को देखते हुए उसकी तरफ से कुछ नहीं कहा गया।
हार्ट ऑफ एशिया बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि आतंकी हिंसा करने वाले समूहों के खिलाफ ही नहीं और बल्कि इन्हें वित्तीय मदद करने वाले, इन्हें आश्रय देने वाले देशों के खिलाफ भी हमें कार्रवाई करने की जरूरत है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जगह बैठक का संचालन कर रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि किसी भी देश को किसी भी आधार पर आतंक का समर्थन करने की छूट नहीं होनी चाहिए। चूंकि भारत इस सम्मेलन का आयोजनकर्ता देश था इसलिए मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ इससे ज्यादा कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी।
गनी ने पाकिस्तान के खिलाफ हाल के महीनों के सबसे बड़ा हमला करते हुए कहा कि उसने अफगानिस्तान के खिलाफ एक तरह से अघोषित युद्ध छेड़ रखा है। आतंकी संगठन भी मानते हैं कि अगर उन्हें पाकिस्तान से मदद नहीं मिले तो वे एक महीना भी टिक नहीं सकेंगे।
मोदी का समर्थन करते हुए गनी ने कहा कि पाक के समर्थन से चल रहे आतंकी समूहों की गतिविधियों की जांच अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से करवाई जानी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान इनमें अपनी भूमिका से इनकार करता है।
अमृतसर घोषणा-पत्र में इन बातों का है जिक्र
– कॉन्फ्रेंस में आतंकवाद को खत्म करने का संदेश देते हुए एक आतंकरोधी प्रस्ताव पर सहमति बनी।
– प्रस्ताव में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों और हक्कानी नेटवर्क का नाम शामिल किया गया है।
-आतंकवाद शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है, सभी तरह के आतंकवाद को खत्म किया जाना चाहिए जिसमें आतंकवाद को समर्थन और आर्थिक मदद मुहैया कराना भी शामिल है।
-अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अफगानिस्तान की सरकार को अपना सहयोग जारी रखने की अपील।
सौ कदम साथ पर नहीं बनी राह
पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच संक्षिप्त ही सही लेकिन एक मुलाकात हुई है। यह मुलाकात शनिवार को हार्ट ऑफ एशिया बैठक के पहले दिन रात्रिभोज के दौरान हुई है। वैसे दोनों देश इस मुलाकात को लेकर अलग अलग बयानबाजी कर रहे हैं।
पाकिस्तान ने बताया है कि दोनों के बीच बातचीत हुई है जो सिर्फ हाल-चाल पूछने तक सीमित नहीं रही है। जबकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने पूरी तरह से इस तरह की किसी औपचारिक या अनौपचारिक बातचीत से इनकार किया है। वैसे रात्रिभोज के दौरान अजीज और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच भी शिष्टाचार मुलाकात की सूचना है।
सूत्रों के मुताबिक अजीज के साडा पिंड रिसोर्ट पहुंचते ही रास्ते में उनकी डोभाल से मुलाकात हुई। दोनों तकरीबन सात मिनट तक साथ साथ चलते रहे और आपस में बातचीत की। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के किसी अधिकारी ने इनकी फोटो खींचकर सोशल साइट्स पर डाल दी।
भारतीय पक्ष ने इसकी पहले पुष्टि की और बाद में इसे खारिज किया। कूटनीतिक हलकों मे माना जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से अजीज ने संकेत दिया है कि भारत को अपने कड़े रवैए में नरमी लाते हुए बातचीत की प्रक्रिया फिर से शुरू करनी चाहिए।