भारत की सभी बड़ी कंपनियों ने पीएम मोदी से कहा- बचा लो

पत्र में कहा है वे इस नए सेवा प्रदाता की फ्री-काल की बाढ को संभालने की स्थिति में नहीं है। पत्र में एयरटेल ने कहा है कि वे ऐसे इंटरकनेक्ट आग्रहों को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं क्योंकि जियो की योजनाएं लड़ाई से बाहर हैं।
भारत की सभी बड़ी कंपनियों ने पीएम मोदी से कहा- बचा लो
सीओएआई ने उचित प्रतिस्पर्धा को बहाल करने के लिए पीएम मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है। इसके विरीत रिलायंस जियो के सूत्रों ने कहा कि उसका विरोध कर रही कंपनियां पर जियो या किसी नेटवर्क से आने वाली काल को ‘ इंटरकनेक्टिविटी ’ यानी मार्ग देने की कानूनी बाध्यता है।
सीओएआई ने पीएमओ को भेजे पत्र में कहा है , ‘‘आपरेटर नरम तरीके से यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि वे किसी भी प्रकार – मसलन नेटवर्क संसाधनों, वित्तीय संसाधनों की दृष्टि से उतनी मात्रा में ट्रैफिक को टर्मिनेट करने की स्थिति में नहीं है जो असंयमित तरीके से आ रहा हो। 
इसके अलावा वे उन इंटरकनेक्ट आग्रहों को मानने को भी बाध्य नहीं हैं जो असामान्य तरीके के ट्रैफिक से आ रहा है और ऐसी आईयूसी व्यवस्था बनाता हो, जो प्रतिस्पर्धा रोधी है।’’ रिलायंस जियो ने अपनी सेवाओं का व्यावसायिक परिचालन 5 सितंबर को शुरू किया है। 
जियो ने आरोप लगाया है कि सेवाओं के परीक्षण के दौरान भारती एयरटेल और वोडाफोन जैसे आपरेटरों ने पर्याप्त इंटरकनेक्शन पोर्ट उपलब्ध नहीं कराया था।  मौजूदा आपरेटरों का आरोप है कि रिलायंस जियो द्वारा नेटवर्क का परीक्षण नियमो का उल्लंघन करने का प्रयास है।
रिलायंस जियो भी सीओएआई की सदस्य है। जियो के सूत्रों ने सीओएआई के इस नजरिए को ग्राहक विरोधी बताते हुए कहा कि पीएमओ के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र को लिखे पत्र में रिलायंस जियो के साथ साथ दो पुरानी सदस्य कंपनियां एयरसेल और टेलीनॉर भी शामिल नहीं है।
 

 

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