नवीन जिंदल के साथ रणजीत चौटाला भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनको भाजपा में शामिल होते ही लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया गया है। रणजीत चौटाला फिलहाल हरियाणा में कैबिनेट मंत्री हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में सियासी उठापटक जारी है। हरियाणा में कांग्रेस नेता नवीन जिंदल भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। इसके साथ ही रणजीत चौटाला भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। रणजीत चौटाला फिलहाल निर्दलीय विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री है।
दोनों नेताओं को भाजपा ने पार्टी ज्वाइन करते ही लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतार दिया है। रणजीत चौटाला को हिसार लोकसभा से प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र से मैदान में उतारा गया है।
प्रदेश भाजपा सरकार में हैं कैबिनेट मंत्री
रणजीत सिंह फिलहाल रानियां सीट से निर्दलीय विधायक हैं और प्रदेश भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। उनके पास जेल और बिजली मंत्रालय है। रणजीत सिंह इससे पूर्व 1987 में विधायक बने थे। इसके बाद वह दो बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके ,लेकिन जीत नहीं पाए। जब 2019 में उनकी टिकट कटी तो समर्थकों की सलाह पर निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए।
कांग्रेस में रहकर कभी जीत नहीं पाए रणजीत सिंह
रणजीत सिंह 1987 में चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में लोकदल की सरकार में कृषि मंत्री बने। देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री बने तो ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री, लेकिन रणजीत सिंह ने उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं किया और कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 के विधानसभा चुनाव में उनको टिकट नहीं मिली। इसके बाद 1998 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें हिसार सीट से टिकट दी लेकिन वे हार गए। 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी पर वे कांग्रेस सरकार में योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। 2009 में नए परिसीमन के बाद रानियां विधानसभा सीट से लड़े लेकिन कृष्ण कंबोज से हार गए। 2014 में रामचंद्र कंबोज से हार गए। 2019 में टिकट कटने के बाद कांग्रेस से बागी होकर आजाद चुनाव मैदान में उतरे और जीत गए। ऐसे में रणजीत सिंह जितना समय कांग्रेस में रहे, कभी विधायक नहीं बन पाए।
रोड़ी से 1987 में बने थे विधायक
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे और रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह इससे पूर्व सिर्फ एक बार ही विधायक चुने गए हैं। उनकी उम्र करीब 73 साल है। 1967 में उन्होंने चंडीगढ़ से स्नातक की थी। 1987 में वो रोड़ी विधानसभा सीट से लोकदल की सीट पर विधायक चुने गए थे। उस समय वे कृषि मंत्री बने थे। 1987 में जीतने के बाद उनको फिर 2019 में ही जीत नसीब हुई। इसी समय अंतराल में उन्होंने हिसार सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा पर जीत नहीं पाए।
नवीन जिंदल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ट्वीट किया कि मैंने 10 वर्षों तक कुरुक्षेत्र से सांसद के रूप में संसद में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। मैं कांग्रेस नेतृत्व और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को धन्यवाद देता हूं। आज मैं कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।
भाजपा में शामिल होने के बाद नवीन जिंदल ने कहा कि आज मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण दिन है। मुझे गर्व है कि मैं आज भाजपा में शामिल हुआ और मैं पीएम मोदी के नेतृत्व में देश की सेवा कर सकूंगा। पीएम मोदी के ‘विकित भारत’ सपने में योगदान करने के लिए मैं भी कंधे से कंधा मिलाकर योगदान देना चाहता हूं। भाजपा ने मुझे इस लायक समझा, इसके लिए मैं उनके आलाकमान का आभारी हूं।
जिंदल ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि भाजपा ने मुझे यह मौका दिया। आज होली के शुभ अवसर पर मेरा लक्ष्य देश में और अधिक खुशियां लाना है। पीएम मोदी के नेतृत्व में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करूंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सभी अपने भारत को विकसित भारत बनाने की कोशिश कर रहे हैं और हमें इसमें सफलता मिलेगी। भाजपा मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं करूंगा। मैं उस जिम्मेदारी को अच्छे से निभाउंगा।
उन्होंने कहा कि मैं पिछले 10 वर्षों से कांग्रेस के साथ हूं। मैं पार्टी में सक्रिय नहीं था, मैं पिछले 10 वर्षों में उनके किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ हूं और मैं पिछले कुछ समय से किसी भी राजनीतिक दल से पूरी तरह से अलग हो गया हूं। मेरा ध्यान केवल अपने काम, सामाजिक कार्य और विश्वविद्यालय पर था। इसलिए मुझे नहीं लगता कि मेरे इस्तीफे से कांग्रेस पर कोई फर्क पड़ेगा। मेरा वहां न तो कोई प्रभार था और न ही मैं कभी वहां का पदाधिकारी था।
उन्होंने कहा कि मुझे वहां रहते हुए 10 साल हो गए हैं, मैंने वहां अपनी जिम्मेदारियां निभाईं और पिछले 10 वर्षों से मैं कांग्रेस पार्टी से पूरी तरह से दूर हूं। मैं किसी भी तरह से सक्रिय नहीं हूं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि इससे उन्हें कोई फर्क पड़ेगा। अब जब मैं राजनीतिक जीवन में आ रहा हूं और भाजपा में शामिल हो गया हूं तो अब पार्टी की नीतियों पर चलते हुए हम सब मिलकर अपने सपनों का भारत बनाने का प्रयास करेंगे।