महाराष्ट्र में एक साल पहले राजनीतिक भूकंप आया था। सुबह जब लोग सोकर उठे तो देखा कि राज्य में देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री पद पर फिर से ताजपोशी हो चुकी थी। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पाला बदलकर सबको चौंका दिया था। उन्होंने फडणवीस के साथ ही शपथ ली थी और उपमुख्यमंत्री बन गए थे। लेकिन, राज्य के इतिहास में दर्ज हो चुके इस घटनाक्रम पर अब देवेंद्र फडणवीस किताब लिख रहे हैं। सोमवार को उन्होंने इसका खुलासा किया।
फडनवीस ने कहा कि एक साल पहले 23 नवंबर को तड़के राजभवन में मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर मैं एक पुस्तक लिख रहा हूं। वे इस घटनाक्रम को भूलना नहीं चाहते हैं। सोमवार को उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को याद नहीं रखना चाहिए। फिर भी उन्होंने कहा कि अब भविष्य में महाराष्ट्र की जनता तड़के नहीं बल्कि उचित समय पर नई सरकार का शपथ ग्रहण देख सकेगी।
उद्धव सरकार के 20 साल तक चलने का दावा करने के सवाल के जवाब में फडणवीस ने कहा कि ये कितना भी दिवास्वप्न देख लें लेकिन उन्हें पता है कि यह सरकार जनता द्वारा चुनी हुई नहीं बल्कि बेईमानी से बनाई गई सरकार है।
23 नवंबर 2019 के दिन तड़के राजभवन में राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने देवेन्द्र फडणवीस और अजित पवार को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई थी। उस समय भाजपा से दगाबाजी कर सत्ता के नए समीकरण तलाशने में जुटे शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को करारा झटका लगा था। लेकिन फडणवीस की खुशी अधिक दिनों तक नहीं टिक पाई। सुप्रीम कोर्ट ने ओपन बैलट के जरिए फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे दिया था। इससे भाजपा की रणनीति फेल हो गई।
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पार्टी को एकजुट किया और शिवेसना-कांग्रेस-एनसीपी की नई महाराष्ट्र विकास आघाड़ी बनाकर फडणवीस को जोर का झटका दे दिया। उसके बाद अजित पवार को भी मायूस होकर पार्टी में पुनःवापसी करनी पड़ी थी। इसके कुछ ही दिन बाद 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे राज्य के नए मुख्यमंत्री बने और अब उनका एक साल का कार्यकाल भी पूरा होने वाला है।
साल 2019 में भाजपा-शिवसेना ने एक साथ मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ा था। भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, एनसीपी 54 और कांग्रेस ने 44 सीट पर जीत दर्ज की थी। उद्धव ठाकरे ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ गए थे। राज्य में चुनाव के बाद सरकार बनने के आसार दिखाई नहीं दे रहे थे। क्योंकि फडणवीस को सत्ता समीकरण के लिए 40 विधायकों की जरूरत थी।
भाजपा ने 15 निर्दलियों और एनसीपी में अजित पवार समर्थित 38 विधायकों को साथ लेकर सूबे में फडणवीस की फिर से ताजपोशी की कोशिश की। आधी रात को राष्ट्रपति शासन खत्म कर तड़के फडणवीस और पवार को शपथ दिलाई गई थी।