सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि बीजेपी ने राष्ट्रीय एकता को टुकड़ों में तोड़ दिया है, बेशर्मी से मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को उकसाया है और अब अपने सिख भाइयों के खिलाफ ऐसा कर रही है. बीजेपी देशभक्ति वाले पंजाब को सांप्रदायिक आग में धकेल रही है.
बीते दिनों पहले सुखबीर सिंह बादल ने आंदोलन में खालिस्तानियों की मौजूदगी की अफवाहों को लेकर आक्रामक रुख दिखाया था. उन्होंने कहा था कि इस आंदोलन में कई बूढ़ी महिलाएं भी शामिल हैं. क्या वो खालिस्तानी लगती हैं? यह देश के किसानों को संबोधित करने का कोई तरीका है? यह किसानों का अपमान है.
बादल ने कहा था कि उनकी हिम्मत कैसे हुई हमारे किसानों को देशद्रोही कहने की? बीजेपी या किसी और को, किसानों को देशद्रोही कहने का हक किसने दिया? किसानों ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया और आप इन्हें देशद्रोही कह रहे हैं? जो इन्हें देशद्रोही कह रहे हैं, वो खुद देशद्रोही हैं.
बता दें कि बादल परिवार की ओर से कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है. हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और केंद्र के नए कानूनों को किसानों के साथ बड़ा धोखा बताया था. सिर्फ इतना ही नहीं सुखबीर बादल ने अकाली दल के NDA से अलग होने का ऐलान करते हुए पंजाब के चुनावों में अकेला लड़ने की बात कही थी.
इसी महीने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने कृषि कानूनों के विरोध में अपना पद्म विभूषण सम्मान वापस कर दिया है. उनके अलावा अकाली दल के नेता रहे सुखदेव सिंह ढींढसा अभी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटाने की बात कही थी. बता दें कि प्रकाश सिंह बादल एनडीए के उन नेताओं में रहे हैं, जिनके सार्वजनिक मंचों पर चरण छूकर नरेंद्र मोदी आशीर्वाद लेते रहे हैं. हालांकि, अब कृषि कानूनों पर बीजेपी और अकाली दल आमने-सामने आ गए हैं.