मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह पर भाजपा ने हमला बोला है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि दिग्विजय सिंह ने छह माह बाद ट्विटर पर वापसी करते हुए स्वयं स्वीकार लिया है कि उनके कार्यकाल में राज्य में अनुसूचित जाति व जनजाति पर किस तरह से अत्याचार होते थे. अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कहा कि यह दिग्विजय सिंह ही थे जिनके कार्यकाल में भोपाल घोषणापत्र या दलित एजेंडा पार्ट-एक मध्यप्रदेश में लोगों को आपस में जातीय उन्माद में उलझाने और वर्ग संघर्ष का बड़ा कारण था. गांव-गांव इस आग की तपिश में झुलसा था. अब दिग्विजय सिंह अपनी सत्ता वापसी के लिए जातीय संघर्ष में प्रदेश को झोंकने की ताक में हैं. उनके कार्यकाल में दलितों का कितना भला हुआ ये प्रदेश जानता है.
आंबेडकर जयंती पर किया था ट्वीट
छह महीने में नर्मदा परिक्रमा पूरी करने के बाद दिग्विजय सिंह ने आंबेडकर जयंती के मौके पर ट्वीट किया था, “आदिवासी, दलित, पिछड़े वर्ग की न्याय यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव 2002 का ‘भोपाल डिक्लेरेशन’ था जिसे मैंने बतौर मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश में लागू किया था.
बुरी स्थिति में थे आदिवासी
भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि सच्चाई यह है कि वर्ष 2000 में आदिवासियों के खिलाफ देश में हुए कुल अपराधों का 44 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में घटित होता था. उनके मुख्यमंत्री रहते देश में आदिवासी स्त्रियों पर होने वाले अत्याचार का 60 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में होता था. तब आदिवासी स्त्रियों की अपहरण की घटनाओं में मध्यप्रदेश का योगदान 54 प्रतिशत था. उनकी सरकार में तब आदिवासियों के विरुद्ध आगजनी की 35.5 प्रतिशत घटनाओं में मध्य प्रदेश का नाम था.
अग्रवाल के मुताबिक, अनुसूचित जाति जिसे दिग्विजय सिंह दलित कहते हैं, वर्ष 2002 में उनके खिलाफ देशभर में हुए कुल अपराधों का 21.5 प्रतिशत अकेले मध्यप्रदेश में होता था. वर्ष 2002 में इसी वर्ग की महिलाओं के विरुद्ध देशभर में हुए कुल दुष्कर्मों का 31 प्रतिशत अकेले मध्य प्रदेश में था.