सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बिहार क्रिकेट के लिए रणजी में खेलने के रास्ते खोले है. अब बिहार के क्रिकेटरों को 17 साल बाद फिर से रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका मिलेगा. प्रदेश के खिलाड़ियों को और बेहतर मौके दिए जाने के उदेश्य से बिहार की नीतीश कुमार सरकार एक और अभूतपूर्व कदम उठा रही है. राज्य के एकलौते मोइनुलहक स्टेडियम तोड़कर नए रूप में पुनर्निर्मित किया जायेगा. तीन सौ करोड़ रुपये के खर्च से इसका निर्माण किया जायेगा.
सरकार, बीसीसीआइ और बीसीए अगले पन्द्रह दिनों में सारी ओपचारिकताएं ख़त्म कर योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर चुके है. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह के समक्ष दिल्ली के गोयल एंड एसोसिएट ने स्टेडियम के नए डिजाइन पर प्रजेंटेशन दिया. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) को रणजी ट्रॉफी समेत अन्य राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की मंजूरी दे दी.
बिहार के क्रिकेटरों को अपना भविष्य बनाने के लिए दूसरे राज्यों की और पलायन करना पड़ता था. बिहार अभी बीसीसीआई का पूर्णकालिक सदस्य नहीं है. साल 2000 के बाद से बिहार क्रिकेट टीम किसी भी स्पर्धा में हिस्सा नहीं ले सकी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नीतीश कुमार सरकार के इस फैसले से बिहार के क्रिकेटरों और क्रिकेट प्रेमियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है.
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