लंबे समय से विवादों से बचकर चला रहा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) एक बार फिर से चर्चा में आ गया। इस बार खुद विवि के कुलसचिव लपेटे में आये हैं। मौजूदा कुलसचिव पर गंभीर आरोप लगे हैं। इंटरनल ऑडिट ऑफिसर द्वारा कुलपति को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक कुलसचिव की ज्वाइनिंग यूजीसी के नियमों के तहत नहीं हुई, इस आधार पर ऑडिट ऑफिसर ने कुलसचिव से रिकवरी किये जाने की संस्तुति की है।

सूत्रों के मुताबिक अभी हाल ही में इंटरनल ऑडिट ऑफिसर एके श्रीवास्तव ने अपने रिटायरमेंट से पूर्व कुलसचिव की जॉइनिंग के संबंध में रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में उन्होंने कुलसचिव प्रो एस विक्टर बाबू की ज्वाइनिंग यूजीसी के निर्देशों के तहत न होने के कारण उनसे रिकविरी किये जाने की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक कुलसचिव बाबू ने जब बीबीएयू में प्रोफेसर पद पर आवेदन किया था तब उनके द्वारा जमा किए गए कागजो में पाया गया कि उनका आवेदन फॉर्म उनकी पुरानी संस्था नागालैंड विश्विद्यालय, कोहिमा द्वारा फारवर्ड नहीं किया गया था। ऐसे में उनकी पुरानी सेवा को नहीं गिना जा सकता। उनको पुरानी पेंशन योजना में नही रखा जा सकता। लिहाजा विक्टर बाबू को नई पेंशन योजना के अंतर्गत रखा जाए। साथ ही बीबीएयू में उनकी फ्रेश ज्वाइनिंग मानी जाए। जबकि वर्तमान में विक्टर बाबू की पुरानी सर्विस काउंट की जा रही हैं और उनको पुरानी पेंशन योजना की श्रेणी में रखा गया हैं। यूजीसी की व्यवस्था के तहत सीधी नियुक्ति य प्रमोशन में किसी भी शिक्षक की पुरानी सर्विस (राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय) गिनी जाएगी। मगर सीधी भर्ती में आवेदक को प्रॉपर चैनल (आवेदक अपनी पुरानी संस्था से अपना आवेदन फारवर्ड करवा के आवेदन करे) से आवेदन करना होगा। ऐसा न करने पर आवेदक की पुरानी सर्विस नहीं गिनी जाएगी।
16.40 लाख की रिकवरी : रिपोर्ट ज्वाईनिंग के अलावा विक्टर बाबू पर हाउस बिल्डिंग एडवांस में भी घपले का भी आरोप लगा हैं। पूर्व में नागालैंड विश्विद्यालय में 5 लाख 91 हजार रुपए घर बनवाने के लिए स्वीकृत किये गए थे। जिसे उन्हें 4925 रुपए की 120 किश्तों में वापस करना था। इसी बीच विक्टर बाबू ने बीबीएयू में ज्वाइन कर लिया। उसके बाद उनकी किश्ते बीबीएयू में कटने लगी। मगर 2015 में विक्टर बाबू ने तत्कालीन कुलसचिव को पत्र लिख के बताया कि वो नागालैंड विश्विद्यालय में हाउस बिल्डिंग एडवांस को एक मुश्त में निस्तारित करने जा रहे हैं और अब उनके वेतन से किश्ते न काटी जाए। जांच के दौरान कई बार उनसे सेटलमेंट के कागज मांगे गए पर वे उपलब्ध नहीं करा पाए। जांच में पाया उन्होंने पैसा तो मगर मकान नहीं बनवाया। रिपोर्ट में इसी आधार पर उनसे दंडात्मक ब्याज समेत करीबन 16.40 लाख की रिकवरी एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई विवि द्वारा की जाने की संस्तुति की गई है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
बीबीएयू कुलसचिव,प्रो विक्टर बाबू ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट किससे और कब सौंपी गई है मुझे जानकारी नहीं है। मुझे ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। हो सकता है मेरे खिलाफ कोई फर्जी रिपोर्ट बनाकर वायरल की जा रही हो। वित्त अधिकारी ही बता पायेगे।
बीबीएयू प्रवक्ता, डॉ रचना गंगवार ने कहा कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है इस नाते इस बाबत में मैं कुछ नहीं कह पाऊंगी।
बीबीएयू के वित्त अधिकारी, आशीष रस्तोगी ने बताया कि इस संबंध में इंटरनल ऑडिटर ने कुछ रिपोर्ट भेजी तो है मगर इस संबंध में मैं अभी बात नहीं कर पाऊंगा। मैं मीटिंग में हूं।
पूर्व इंटरनल ऑडिट ऑफिसर एके श्रीवास्तव ने बताया कि इंटरनल ऑडिट डिपार्टमेंट द्वारा प्रोफेसर विक्टर बाबू और कुछ अन्य लोगों के संबंध में ऐसी रिपोर्ट विश्वविद्यालय के कुलपति को मैंने सौंपी है। रिपोर्ट सभी तथ्यों की जांच पड़ताल करने के बाद तैयार की गई है।फिलहाल जहां तक मेरे संज्ञान में है अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं गई है।
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