केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा उच्च सदन में अपनी अल्पमत वाली स्थिति को बहुमत में बदलने के लिए पूरी गंभीरता से लगी हुई है। हालिया घटनाक्रम इस बात की पुष्टि भी करते हैं। बीजेपी धीरे-धीरे विपक्षी सांसदों पर डोरे डालकर उनमें सेंध लगा रही है। हालिया दिनों में टीडीपी के चार, इनेलो के एक और सपा के एक सासंद ने भाजपा का दामन थामा है। इससे पार्टी की राज्यसभा में स्थिति पहले से मजबूत हुई है।
बीजेपी सूत्रों के अनुसार, दूसरे दलों के कम से कम छह सांसद राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इनमें से चार सांसद उत्तर प्रदेश से ही हैं। उच्च सदन से इस्तीफा देने का मन बनाने वाले ज्यादातर सांसद वे हैं जो जिनका नौ महीने बाद यानी अप्रैल 2020 में सदन से कार्यकाल खत्म हो रहा है। इन सांसदों की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत हो चुकी है। इसमें दोनों पक्षों को ही फायदा है। इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने वाले सांसदों को जहां छह वर्ष का एक और कार्यकाल मिलेगा तो भाजपा सदन में बहुमत हासिल हो जाएगा।
अभी राज्यसभा में पांच पद खाली पड़े हुए हैं। राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष मदनलाल सैनी की मृत्यु से एक सीट खाली हुई है तो बिहार से शरद यादव को अयोग्य घोषित किए जाने से एक पद खाली हुआ है। नीरज शेखर के इस्तीफा से उत्तर प्रदेश की एक सीट खाली हुई है। साथ ही तमिलनाडु और ओडिशा से भी एक-एक सीट खाली है। इनमें से तीन सीटें एनडीए को मिलना तय हैं।
यदि दो-तीन और इस्तीफे हो रहे हैं तो अगले एक-डेढ़ महीने में ही उपचुनाव की एनडीए के बहुमत मिल जाएगा। अभी कुछ दिन पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री, सपा कोटे से राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ नेता नीरज शेखर ने पार्टी और राज्यसभा की सदस्यता दोनों से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। दरअसल बीजेपी तीन तलाक, नागरिकता संशोधन, एनआईए संशोधन सहित पार्टी के एजेंडे से जुड़े अहम बिल को राज्यसभा से पारित करवाना चाहती है। जिसे वह अपने पिछले कार्यकाल में उच्च सदन में बहुमत नहीं होने के कारण पारित नहीं करवा सकी थी।