NEW DELHI: मुंबई के एक परिवार के बीच का झगड़ा सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा, पति-पत्नी दोनों बच्चों की पढ़ाई को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई को लेकर आपस में विवाद बढ़ाना ठीक नहीं है, बच्चों को लेकर युद्ध ना करें।अभी-अभी: सीएम योगी सहित पांच नेताओं ने दाखिल किया नामांकन, चारो तरफ गूंजे जय श्रीराम के नारे
बता दें कि शादी के 15 साल बाद पत्नी अपने मायके आकर रहने लगी, पत्नी ने आरोप लगाया कि उसका पति उसे मारता था, और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी करता था।
उनके दो बच्चे भी हैं एक 14 साल का लड़का और एक 10 साल की लड़की, जिन्हें पत्नी पति के पास छोड़कर मायके में आकर रहने लगी थी। चूंकि बच्चे पति के पास थे और एग्जाम में अच्छे नंबर नहीं आए थे, तो वो उन्हें पत्नी के पास छोड़ आया । मां के पास रहकर दोनों बच्चे अच्छे नंबरों से पास हुए, और वहीं रहने लगे ।
पति ने पत्नी पर बच्चे वापस ना करने का आरोप लगाया, और वो कोर्ट में चला गया, तो मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बच्चे पत्नी को सौंप दिए। फिर फैसले के खिलाफ पति ने पिछले साल 14 फरवरी को हाईकोर्ट में अपील की, तो हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चे पत्नी के पास ही जाने से ही अच्छे नंबरों से पास नहीं हुए, ये दोनों के बीच का मामला है, और बच्चे पति को सौंप दिए जाए ।
महिला ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तो सुप्रीम कोर्ट के जज सीकरी ने अपने फैसले में लिखा कि हाईकोर्ट ने मामले को सही तरीके से समझते हुए ही फैसला सुनाया है, ऐसा कोई कारण नहीं है कि सिर्फ पिता के पास रहने से ही बच्चों पर यह असर पड़ा । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी को अपनी कानूनी लड़ाई के बीच बच्चों को नहीं घसीटना चाहिए, लिहाजा दोनों मिलकर ही मामले को सुलझाए लें।